दुनियां की सबसे ऊँची चोटी Mount Everest है, ये बात हम सभी जानते है, लेकिन “माउंट एवरेस्ट कहाँ स्थित है” (Mount Everest kaha hai) ये शायद ही किसी को मालूम हो. तो चलिए यदि आप “where is mount Everest located” से जुडी सभी सवालो की विस्तृत जानकारी चाहते है, तो कृपया इस आर्टिकल के साथ बने रहें.
माउंट एवरेस्ट कहाँ स्थित है – mount everest kaha hai
हिमालय पर्वत श्रेणी विश्व की आठवी बड़ी पर्वत श्रृखला में से एक है, इसकी कुल लम्बाई 2,400 किलोमीटर है, हिमालय का नाम संस्कृत के दो शब्दों के मिलने से बना है हिम+ आलय जिसका अर्थ बर्फ का घर होता है|
भारत में इसे पर्वत राज के नाम से भी जाना जाता है. कालीदास ने अपनी कई कविताओं में इसे देवात्मा और पृथ्वी का मानदंड बताया है.
इस पर्वत श्रेणी का विस्तार पाकिस्तान,अफगानिस्तान , भारत, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार की सीमा तक फैला हुआ है. आप mount everast map की मदद से इसके निर्देशांक 27°59′17″N 86°55′31″E को देखा जा सकता है|
इस पर्वत श्रृखला में कई पर्वत शिखर और चोटियाँ है औ उन्ही चोटियों में एक माउंट एवरेस्ट है जिसे विश्व की सबसे ऊँची पर्वत शिखर के नाम से जाना जाता है.
Mount Everest नेपाल और चीन के तिब्बत स्वशासित क्षेत्र की सीमा पर पर स्थित है, exact location address:- Solukhumbu District, Province No. 1, Nepal और Tingri County, Xigazê, Tibet Autonomous Region, China.
Mount Everest का अक्षांश और देशांतर निर्देशांक बिंदु (Mount Everest Latitude and longitude coordinates) 27.9881° N, 86.9250° E है, और GPS निर्देशांक (Global Positioning System coordinates) 27° 59′ 9.8340” N and 86° 55′ 21.4428” E के लगभग है|
हालाँकि, Everest की सही स्थिति को लेकर कई देशो में विवाद है| चीन के राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रशासन 2005 के अनुसार एवरेस्ट की स्थिति 27.59 ° N और 86.55 ° E है|
परन्तु वर्तमान पर इसकी स्थिति 27.9881 ° N और 86.9250 ° E पर दिखाती है| कुछ समय पहले नेपाल ने अपने मानचित्र के अनुसार माउंट एवरेस्ट की स्थिति नेपाल के खुम्ब क्षेत्र में बताई थी|
चूकी, नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित माउंट एवरेस्ट के स्थान के कारण, यह निर्धारित करने के लिए थोड़ा भ्रमित हो सकता है कि माउंट एवरेस्ट कहां है?
यदि एवरेस्ट की सही स्थिति के बारे में कहा जाए तो, इसका north slope यानी उत्तरी ढलान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के क्षेत्र में स्थित है| और South Slope मतलब दक्षिण ढलान और main summit यानी मुख्य शिखर नेपाल में नेपाल में स्थित है|
चूकी मुख्य शिखर नेपाल में है इसलिए, पर्वतारोहियों के द्वारा Everest Base Camp Trekking की प्रारंभिक बिंदु नेपाल के South Slope मतलब दक्षिण ढलान से ही शुरू होती है| और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सबसे आसान रास्ता यही से शुरू होता है|
नाम | Mount Everest (Mt. ) |
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Mt. Everest का पुराना नाम | Peak-15 |
Naming BY ( नामांकरण ) | Sir George Everest (सर जॉर्ज एवरेस्ट) |
ऊँचाई | 8,848.86 m (29,031.7 ft) 2020 के अनुसार |
प्रथम चढ़ाई | 29 मई 1953 में एडमंड हिलेरी और तेन्जिंग नॉरगे के द्वारा |
प्रथम चढ़ाई (भारतीय व्यक्ति की ) | अवतार सिंह चीमा (1933–1989) |
Category ( श्रेणी ) | Mountains |
Country ( देश ) | Nepal |
Country Code | NP |
Latitude (अक्षांश) | 27.9881° N |
Longitude (देशांतर) | 86.9250° E |
DMS (Degree, Minute, Second) Latitude | 27° 59' 9.8340'' N |
DMS (Degree, Minute, Second) Longitude | 86° 55' 21.4428'' E |
UTM (Universal Transverse Mercator coordinate) | Easting 492,391.12 Northing 3,095,661.13 |
Peak के सबसे निकट weather station | लेबुचु या "पिरामिड स्टेशन" 5,079 मीटर की ऊंचाई पर |
चढ़ाई करने की आरंभ और अंत बिंदु | काठमांडू |
माउंट एवरेस्ट की निर्माण, खोज़, और इतिहास
यह भौगोलीक और पर्यटन की दृष्टि से नेपाल ही नहीं बल्कि चीन और भारत का भी एक धरोहर है, इसकी विशेषता और ऊँचाई को देखते हुए मन में यह सवाल ज़रूर आता है की “माउंट एवरेस्ट का निर्माण कैसे हुआ” –
लगभग 70 मिलियन साल पहले हिमालय और माउंट एवरेस्ट का कोई अस्तित्व नहीं था. परन्तु महाद्वीपीय के कई फेरबदल ने इस विशालकाय पर्वत को जन्म दिया|
70 मिलियन वर्ष पहले, भारत गोंडवानालैंड नाम के महाद्वीप का हिस्सा था, और उसी समय प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics Theory) और महाद्वीपीय के कई फेरबदल के कारण इस विशालकाय पर्वत का जन्म हुआ|
उसी समय इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट प्रति वर्ष 15 सेमी की गति से यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ता जा रहा था, साथ ही इन्ही दोनों के बिच में एक टेथिस नाम का महासागर था|
धीरे धीरे दोनों प्लेटो के बिच दुरी घटती गई और प्लेट विवर्तनिकी के कारण इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट उत्तर की ओर यूरेशियन प्लेट एक दुसरे से टकराई|
इस टकराव के कारण एक प्लेट निचे की तरफ और दूसरा प्लेट ऊपर की तरफ उठा और धरती पर विशाल पर्वत के रूप में माउंट एवरेस्ट खड़ा हो गया| अभी भी पृथ्वी पर 7 विशालकाय प्लेटें हैं, इसमे निरंतर गति हो रही है|
वैज्ञानिक सर्वेक्षणों के अनुसार, यह बात कही गई है की पृथ्वी पर मौजूद प्लेटो में होने वाले निरंतर गति के कारण प्रतिवर्ष इसकी ऊँचाई कुछ सेंटीमीटर बढ़ जाती है|
माउंट एवरेस्ट की खोज़ किसने किया
शुरुआत में माउंट एवरेस्ट को Peak-15 के नाम से जाना जाता था| 1856 में ब्रिटिश इंडिया के सर्वेक्षण के द्वारा इसका पता लगाया गया और यह पुष्टि की गई की इसकी ऊँचाई 8840 मीटर के करीब है|
वर्ष 1865 में इसका नाम सर्वे ऑफ़ इंडिया के महानिदेशक सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया| इससे पहले आस पास के लोग इसे चोमोलुंग्मा पर्वत चोटी के नाम से जनाते थे|
आज भी इसे कई अलग अलग नामो से जाना जाता है जैसे- नेपाल में इसे सागरमाथा जिसका अर्थ है आकाश में माथा है और तिब्बती के मूल निवासी इसे चोमोलुंगमा जिसका अर्थ “पहाड़ों की देवी माँ” के नाम से जाना जाता है
Sir George Everest एक ब्रिटिश नागरिक के साथ साथ एक महान सर्वेक्षक भी थे| ये एवरेस्ट की झलक देखने वाले पहले व्यक्ति थे, इनकी म्रत्यु 1 December 1866 में England में हुई|
माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई है- Height of Mount Everest in Hindi 2020
सभी प्रकार के दस्तावेजो और तथ्य के अनुसार विवाद सिर्फ माउंट एवरेस्ट की स्थिति को लेकर ही नहीं बल्कि इसकी ऊँचाई को लेकर भी है| इस विवाद का मुख्य का कारण बर्फ के लेबल, प्रकाश अपवर्तन में भिन्नता और गुरुत्वाकर्षण विचलन है, इन्ही सभी कारणों के कारण एवरेस्ट की उचाई पर विवाद होता रहता है|
इस विवाद को ख़त्म करने के लिए कई देशो के द्वारा कई सर्वेक्षण भी किया गया है| जैसे
- 1975 में एक चीनी सर्वेक्षण के अनुसार 29,029.24 फीट (8,848.11 मीटर)
- 1987 में एक इटालियन उपग्रह सर्वेक्षण तकनीकों के अनुसार 29,108 फीट (8,872 मीटर)
- 1999 में (अमेरिकी) नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी के अनुसार 29,035 फीट (8,850 मीटर)
- 2005 में चीनी सर्वेक्षण के अनुसार 29,017.12 फीट (8,844.43 मीटर)
इन सभी असटीक सर्वेक्षण के बाद नेपाल और चीन ने संयुक्त रूप से सर्वेक्षण किया और 2020 में एवरेस्ट की सही ऊँचाई 8,848.86 m या 8.849 km (29,031.7 ft) (Mount Everest new height) का पता लगाया|
एवरेस्ट पर कितना तापमान होता है- Weather and temperature in Mount Everest
चूकी, माउंट एवरेस्ट एक बर्फीला स्थान है, इसलिए पुरे वर्ष यहाँ का तापमान शून्य से निचे ही रहता है, यहाँ का मौसम कब रंग बदल ले, और यहाँ की हवाए कब तूफ़ान का रूप ले ले कोई नहीं जानता, इतिहास में कई लोगो ने ऐसे ही खराब मौसम के कारण अपनी जान गवाई है.
मौसम की सटीकता की जानकारी के लिए 2006 में एक weather station बनाया गया| इस मौसम को Lobuche (लेबुचु) या “पिरामिड स्टेशन” के नाम से जाना जाता है, यह station, Peak के सबसे निकट 5,079 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|
यहाँ के मौसम के मिजाज का अंदाजा बीते कुछ दिनों के weather Forecasting से ही अनुमान लगाया जाता है. मानसून के समय, हर दिन बर्फबारी होती है जो किसी भी पर्वतारोही के लिए परेशानी का कारण बनता है|
गर्मियों के समय यानी 21 जून- 22 सितंबर में यहाँ का मौसम -18 डिग्री सेल्सियस से -21 डिग्री सेल्सियस के बिच होता है, इसके कारण यहाँ की हवाए नम और गर्म होती है. यह मौसम Climbers के ट्रैकिंग के लिए सबसे अच्छा और उचित माना जाता है|
Everest weather Forecasting के अनुसार वसंत और सर्दियों के समय में एवरेस्ट पर हवा 50 मील प्रति घंटे ( 80 किमी / घंटा) की रफ़तार से बहती है, इसके कारण पर्वतारोहियों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पढ़ता है|
माउंट एवरेस्ट पर मौसम और तापमान:
- -20 डिग्री सेल्सियस से -32 डिग्री सेल्सियस = वसंत के समय मौसम (मार्च 19-जून 20)
- -18 डिग्री सेल्सियस से -21 डिग्री सेल्सियस = गर्मियों के समय मौसम (21 जून- 22 सितंबर)
- -21 डिग्री सेल्सियस से -34 डिग्री सेल्सियस = शरद ऋतु के समय मौसम (23 सितंबर- 21 दिसंबर)
- -34 डिग्री सेल्सियस से -36 डिग्री सेल्सियस = सर्दियों के समय मौसम (दिसंबर 22- मार्च 20)
- शिखर का सबसे ठंडा तापमान: -41ºC (-42F)
- शिखर का सबसे गर्म तापमान: -16ºC (3F)
- एवरेस्ट पर सबसे अधिक हवा की रफ़तार: 175mph से भी अधिक
बैनर बादल केवल एवरेस्ट और मैटरहॉर्न पर बनते हैं
माउंट एवरेस्ट की पहली चढ़ाई का रिकॉर्ड – List of Mount Everest records
एवरेस्ट की चोटी पर पहुचने वाले कई देश और कई लोग है और इनकी संख्या हज़ारों में पहुच चूका है| सबसे अधिक Nepal के द्वारा 1,570 summits कीये गए है USA – 682 और India – 488 ये सभी summits करने वाले शीर्ष देशो में शामिल है|
जॉर्ज मैलोरी और एंड्रयू इरविन (George Mallory and Andrew Irwin) विश्व के पहले दो व्यक्ति थे जिन्होंने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की सोची परन्तु तूफान आने और ऑक्सीजन की कमी के कारण 1924 को चढ़ाई करने के दौरान उनकी मौत हो गई|
टॉम बर्डिलन और चार्ल्स इवान्स (Tom Burdillon and Charles Evans) ने एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की सोची लेकिन दोनों 300 फुट की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण दोनों थक हार कर 26 मई 1953 को वापस लौट आए|
न्यूजीलैंड एडमंड हिलेरी और नेपाल के तेनजिंग नॉर्गे पहले व्यक्ति थे, जिसने 29 मई, 1953 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप घोषित कर दिया गया|
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले दुसरे व्यक्ति (second person to climb on Mount Everest) Juerg Marmet और Ernst Schmied थे| इन्होने 23 मई 1956 को सफलतापुर्वक Mountain climbing किये|
एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे की सफलता के बाद कई लोगो ने इस चोटी पर कदम रखा जैसे _
- डोलफ रेस्ट और हंस-रुडोल्फ वॉन गुनटेन – 24 मई 1957
- वांग रिजु, गोनपो और चीन के क्यू यिनहुआ – 25 मई 1960
- जिम व्हिटटेकर, नवांग गोम्बू (एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले अमेरिकी) – 1 मई 1963
- जुन्को तबेई (एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला बनीं) – 16 मई साल 1975
- रेनहोल्ड मेसनर और पीटर हैबर (ऑक्सीजन के बिना एवरेस्ट पर चढ़ाई ) – 1978 में
- और देखे
Record के प्रकार | Mountaineers Name | देश | सफलता का वर्ष |
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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की कोशिस | जॉर्ज मैलोरी और एंड्रयू इरविन | यूनाइटेड किंगडम और इंग्लैंड | 1924 |
माउंट एवरेस्ट पर चढने वाले प्रथम व्यक्ति | एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे | न्यूजीलैंड और नेपाल | 29 मई, 1953 |
माउंट एवरेस्ट पर चढने वाले दुसरे व्यक्ति | Juerg Marmet और Ernst Schmied | स्विट्ज़रलैंड | 23 मई 1956 |
एवरेस्ट ज्यादा बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति | कामी रीता शेरपा (24 बार ) | नेपाल | - |
माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाले पहले भारतीय पुरुष | अवतार सिंह चीमा (Avtar Singh Cheema) | भारत (india) | |
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला | बच्छेन्द्री पाल | भारत (india) | 1984 |
माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली पहली महिला | संतोष यादव (Santosh Yadav) | भारत (india) | 1992 और 1993 |
माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला | अंशु जामसेनपा (Anshu Jamsenpa) | भारत (india) | May 12 2017 और May 21, 2017 |
माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | Nawang Gombu | भारत (india) | 1963 और 1965 |
माउंट एवरेस्ट पर चढने वाली पहली महिला | जुन्को तबेई (junko tabei) | जापान | 16 May 1975 |
माउंट एवरेस्ट पर तीन बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | सुंगदरे शेरपा (Sungdare Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर तीन बार चढ़ने वाली पहली महिला | लखपा शेरपा (Lhakpa Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर चार बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | सुंगदरे शेरपा (Sungdare Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर चार बार चढ़ने वाली पहली महिला | लखपा शेरपा (Lhakpa Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर चार बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | सुंगदरे शेरपा (Sungdare Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर चार बार चढ़ने वाली पहली महिला | लखपा शेरपा (Lhakpa Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट पर 24 बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | कामी रीता शेरपा (Kami Rita Sherpa) | नेपाल (Nepal) | - |
माउंट एवरेस्ट की चोटी पर सबसे अधिक समय तक रुकने वाले व्यक्ति | बाबु चिरी शेरपा (Babu Chiri Sherpa) - 21 घंटे तक | नेपाल (Nepal) | May 6, 1999 |
सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चोटी तक पहुचने वाला | जॉर्डन रोमेरो (Jordan Romero ) उम्र 13 years, 10 months, 10 days old | United States | May 16, 2010 |
सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चोटी तक पहुचने वाला पहला भारतीय | आकाश चड्ढा (Akash Chaddha) 17 years, 4 months old | भारत (india) | September 20, 2013 |
सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चोटी तक पहुचने वाली पहली भारतीय महिला | मलावठ पूर्ण (Malavath Purna) उम्र 13 years 11 months old | भारत (india) | May 25, 2014 |
आक्सीजन टैंक के बिना एवरेस्ट की चोटी पर चढने वाले व्यक्ति | रीनहोल्ड मेसनर और पीटर हैबेलर (Reinhold Messner and Peter Habeler) | Italy, Austria | May 8, 1978 |
आक्सीजन टैंक के बिना एवरेस्ट की चोटी पर चढने वाली पहली महिला | लिडा ब्रैडी (Lydia Bradey ) | New Zealand | October 14, 1988 |
एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाला प्रथम अश्वेत व्यक्ति (black man) | सिबुसिसो इमैनुएल विलेन (Sibusiso Emmanuel Vilane) | South Africa | May 26, 2003 |
माउंट एवरेस्ट की चोटी पर शादी करने वाले पहले दो लोग | पेम दोर्जी और मोनी मुल्लपति ( Pem Dorjee and Moni Mulepati ) | नेपाल (Nepal) | May 30, 2005 |
माउंट एवरेस्ट पर एक साथ चढ़ने वाले पहले जुड़वां | ताशी और नुंग्शी मलिक (Tashi and Nungshi Malik) | भारत (india) | May 19, 2013 |
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले विकलांग व्यक्ति | टॉम व्हिटकर (Tom Whittaker) | United States | May 27, 1998 |
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले अंधे व्यक्ति | एरिक वेहेंमेयर (Erik Weihenmayer) | United States | May 25, 2001 |
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला | अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) | भारत (india) | 2013 |
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग भारतीत महिला | अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) | भारत (india) | 2013 |
एवरेस्ट पर चढ़ने का खर्च क्या है – Cost to Climb Mount Everest
एवरेस्ट प्रकृति का दिया हुआ एक उपहार है. और इस उपहार से नेपाल हर वर्ष लगभग 30 लाख डॉलर तक की कमाई करता है| नेपाल सरकार के साथ साथ होटल मालिक, ट्रैकिंग गाइड, पोर्टर्स और बीमा वालो की अच्छी कमाई होती है|
एवरेस्ट पर चढ़ने का खर्च, आपको औसत $ 45,000 डालर की कीमत चुकानी होगी और कस्टम चढ़ाई के लिए लगभग 115,000 डॉलर होगी। यदि आप शेरपा को किराये पर रखते है तो आपको $ 5,000 से $ 7,000 अतिरिक्त देना होगा
➤नेपाली सरकार से एवरेस्ट की चढ़ाई की अनुमति (यह नॉन रिफंडेबल Cost है जिसे नेपाल सरकार वापस नहीं करती) $ 11,000
➤परमिट के लिए आवेदन शुल्क $ 400
➤नेपाली संपर्क अधिकारी शुल्क $ 500
➤नेपाल पर्यटक वीजा (नेपाल में ठहरने के लिए) $ 100
➤वापसी शुल्क (यह फ़ीस एवरेस्ट पर फेके गए Waste Material जैसे खाली ऑक्सीजन सिलेंडर, मानव मल इत्यादि के लिए लिया जाता है परन्तु यह पूरी या आधी वापस भी कर दी जाती है ) $ 650
➤चढ़ाई का समान यानी Personal Climbing Gear जैसे- Down Suit, Glacier Glasses, Satellite Tracker, Watch with Alarm, Trekking Shoes/Boots, Gloves, Ice Axe, Toilet Bag, Pee Bottle, Medications $6,000
➤Everest ER Fee $100
➤Rope Fixing Fee (यह Fee 3,000m रस्सी के लिए लिए चार्ज किया जाता है ) $750
➤ऑक्सीजन टैंक ( चढ़ाई के लिए 10 टैंक की ज़रूरत होती है, जिसमे प्रत्येक टैंक की कीमत $ 500 होती है. 6 टैंक पर्वतारोही के उपयोग के लिए और 4 टैंक शेरपा के लिए ) $5,000
➤Oxygen Mask और Regulator (यह किराए पर दिया जाता है| एक सेट पर्वतारोही के लिए और एक सेट शेरपा के लिए होता है ) $2,000
➤Climbing Sherpa (ये आपको एक शिविर से दुसरे शिविर तक जाने की योजना बनाता है और आपके साथ चढ़ाई करता है) $5,000
➤शेरपा कुक $ 2,000
➤माउंटेन टेंट (Mountain Tents) मेस टेंट, कुकिंग टेंट, टॉयलेट टेंट, प्रत्येक अभियान के दौरान ये टेंट हवा और तूफान से नष्ट हो जाते हैं। $3,000
➤Sherpa का किराया ( ये शेरपा पहाड़ को ऊपर और नीचे ले जाने में सहायता करते हैं। कैंपों को स्टॉक करना, टेंट लगाना और कैंप बनाना) $3,000
➤माउंटेन क्लीन-अप शुल्क (यह fee आपके द्वारा फेके गए wastage जैसे शिविरों से सभी टेंट, बोतलें, उपकरण के लिए लिया जाता है ) $ 500
➤शिखर प्राप्ति बोनस (यह शिखर पर सफलता पूर्वक पहुचने पर cooks, porters and load-carrying Sherpas को दिया जाता है) $1,200
➤ट्रिप इंश्योरेंस (Optional Costs वैकल्पिक लागत) $ 600
➤चिकित्सा बीमा $ 400
➤अन्य जैसे gifts or snacks or drinks $1,000
माउंट एवरेस्ट Death Zone, चढ़ाई के समय अक्सर होती है मृत्यु
Mount Everest पर Climbing के दौरान climbers and mountaineers को कड़ी ढलान, तेज़ तूफ़ान, खराब मौषम, फिसलन और ऑक्सीजन की कमी जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक आकड़े के अनुसार Climbing के दौरान 100 में 5 (पर्वतारोहियों) की मौत हो जाती है|
खुम्बू हिमनद यानी ग्लेशियर Everest की चढ़ाई का सबसे कठिन हिस्सा माना जाता है| इस ग्लेशियर में लगभग 2 किलोमीटर ऊँची ऊँची चट्टानें और लगभग 200 फ़ीट से भी गहरी खाइयां हैं, climbers and mountaineers इसे पार करने के लिए एल्युमिनियम की बनी सीढ़िओ का प्रयोग करते है|
लगभग 8000 मीटर के बाद ऑक्सीजन का स्तर एक तिहाई जीतनी रह जाती है, इस स्थिति में पर्वतारोहियों को अलग से ऑक्सीजन सिलेन्डर की ज़रूरत होती है|
इन्ही परेशानियों के कारण कई माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले climbers and mountaineers की मृत्यु हो चूकी है| अब तक मरने वाले climbers की संख्या लगभग 312 है. इन सभी Death Body को यहाँ से हटाया नहीं गया है चूकी यहाँ का तापमान माइनस में होता है इसलिए मरे लोग वर्फ में सालो तक पड़े रहते है|
मरने वाले पर्वतारोहियों में नेपाल शीर्ष देश है :
- नेपाल 111
- भारत 19
- जापान 19
- यूनाइटेड किंगडम 17
- संयुक्त राज्य अमेरिका 15
- चीन 12
- दक्षिण कोरिया 11
Conclusion:
हालाँकि एवरेस्ट पर चढ़ना अब बहुत ही आम बात हो चूकी है इतिहास में हजारो mount Everest record बनाए जा चुके है| हिमालय की और भी ऊँची चोटिया है जैसे – नंदा देवी, मेरु पर्वत, कंचनजंघा, अन्नपूर्णा, काराकोरम-2 इन पर चढ़ना भी एवरेस्ट से ज्यादा मुश्किल और खतरनाक है| परन्तु ज्यादा ख्याति के कारण लोग यहीं चढ़ाई करते है|
पर्वतारोही रेनॉल्ड मेस्नर का कहना है की पर्वतारोहण केवल बने बनाए और दिखाए गए रास्तो और लिक पर चलने के लिए नहीं बना है, इसका उदेश्य नई खोज करना होना चाहिए|
उनका मानना है की पैसे देकर पहाड़ चढ़ने वाले लोग पर्वतारोही नहीं पर्यटक कहलाते है| और लोग Mount Climing छोड़कर Tourist बन रहे है|
यह बात सच है की वास्तव में हिमालय पर्यटक स्थल के साथ नेपाल की विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का अच्छा श्रोत बनते जा रहा है |
“mount Everest Height, Location, Map, Facts, Climbers” के इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद, हमें उम्मीद है, की आपको “mount everest kaha hai” हिंदी लेख जरूर पसंद आया होगा|
यदि आपने “Mount Everast in hindi” हिंदी-पोस्ट को अच्छे से पढ़ा होगा तो इसमे दी गई जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी।
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नोट :सभी जानकारी पूर्ण / अपडेट नहीं हो सकती है, सूत्रों द्वारा पुष्टि की गई समिट काउंट को अपडेट करने में महीनों और साल भी लग सकते हैं
बहुत काम की जानकारी है पढकर बहुत कुछ जनने को मिला
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए आपका धन्यवाद,
Nice article.Bahat hi helpful hai.
Nice post
माउंट एवरेस्ट की स्थिति और विस्तार पर बहुत ही अच्छी पोस्ट लिखी है आपने इसके लिए धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है
आप की post पढ़ कर मुझे और भी अच्छा लिखने का प्रेरणा मिला.
हिमालय के बारे में काफी अच्छे तरीके और काफी impressive way से समझाया है आपने Keep it up.
माउंट एवरेस्ट की स्थिति और विस्तार पर बहुत ही detailed पोस्ट पढ़कर काफी कुछ जानने को मिला