भारत में मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का पर्व संपूर्ण भारत के अलावे पड़ोस के देश जैसे नेपाल में भी मनाया जाता है, या पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है, और हिंदू के कई मान्यताओं के अनुसार यह सनातन धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है,
पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि मे प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है| क्योंकि इस महीने में सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करता है, इसलिए इसे मकर संक्रांति का पर्व का कहा जाता है, मकर संक्रांति एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जो भारत के हर राज्य मे मनाया जाता है| लेकिन सभी राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है|
चलिए इस पोस्ट में मकर संक्रांति मनाने के कारण, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं, महत्त्व और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से इसे बनाने का तरीकों के बारे में जानते हैं, इसके साथ कई लोग यह भी जानना चाहते हैं कि मकर संक्रांति मनाने की सही तिथि और समय क्या है? मतलब Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी की तारीख में कब मनाएं? हम इस कन्फ्यूजन के बारे में भी विस्तार से जानेंगे
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है | Makar Sankranti kyo manaya jaata hai?
दरअसल, वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति का अपना अलग-अलग महत्व है, वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य की स्थिति बदलने पर इस पर्व को मनाया जाता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म और सनातन धर्म में इसे सूर्य देव की आराधना करने के समान माना गया है.
ऐसा कहा जाता है कि, संक्रांति के दिन से ही भगवान सूर्य अपनी गति और उसमें तिल तिल कर आगे बढ़ाते हैं इसलिए इस पर्व में तिल का अपना अलग ही महत्व है, इस पर्व में अन्य और तिल दान करने का महत्व है, कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है|
मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, और अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, इस पर्व को गुजरात में उत्तरायण पर्व के नाम से जानते हैं,
लेकिन बिहार झारखंड और राजस्थान में मकर संक्रांति को सकरात के नाम से जाना जाता है. वही, तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से तथा आंध्र प्रदेश कर्नाटक और केरल में इसे केवल संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे
भारत के राज्य | अलग-अलग नाम |
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भोगाली बिहु | असम |
खिचड़ी | उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार |
मकर संक्रमण | कर्नाटक |
शिशुर सेंक्रात | कश्मीर घाटी |
उत्तरायण | गुजरात, उत्तराखण्ड |
मकर संक्रांति (संक्रान्ति) | छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू |
उत्तरैन, माघी संगरांद | जम्मू |
ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल | तमिलनाडु |
पौष संक्रान्ति | पश्चिम बंगाल |
माघी | हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
मकर संक्रांति सिर्फ 14 या 15 जनवरी को ही मनाई जाती है?
मकर संक्रांति के दिन है सूर्य की स्थिति बदलते हैं और सूर्य अपने उत्तरायण स्थिति से हटकर दक्षिणायन स्थिति में आ जाता है, अर्थात आज के दिन ही सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से घूमते हुए उत्तरी गोलार्ध में पहुंच जाता है,
पिछले कई वर्षों से मकर संक्रांति का पर्व 14 तारीख को ही मनाई जाती है| इसलिए कई लोगों को ऐसा लगता है कि 14 तारीख मकर संक्रांति पर्व को मनाने के लिए निश्चित कर दी गई है, लेकिन ऐसा नहीं है, अब आप सोच रहे होंगे कि मकर संक्रांति 14 को मनाए या 15 जनवरी को, तो चलिए जानते हैं, कि क्या मकर संक्रांति सिर्फ 14 या 15 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है इसके पीछे का क्या कारण है.
ज्योतिष आंकड़ों के अनुसार, सूर्य की गति प्रतिवर्ष 20 सेकंड बढ़ जाती है, यही कारण है कि हर 3 साल के बाद सूर्य एक मिनट की देरी से और प्रत्येक 72 वर्ष के बाद सूर्य एक दिन कि देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है.
यही कारण है कि कुछ वर्ष पहले मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सिर्फ 14 तारीख को ही मनाई जाती थी लेकिन अब इसकी तिथि बदल चुकी है और अब मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाई जाती है.
Makar Sankranti 2023 kab hai date time
आने वाले समय में मकर संक्रांति पूरी तरह 15 जनवरी को मनाई जाएगी, और उसके आने वाले 72 वर्षों के बाद मकर संक्रांति 16 जनवरी को मनाई जाने लगेगी, आज से हजारों वर्ष पहले मकर और धनु राशि राशि का संयोग 31 दिसंबर को हुआ करता था, लेकिन 5000 वर्ष बाद सूर्य की धनु से मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि फरवरी के अंतिम दिन में पहुंच जाएगी.
अत: वर्ष 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी, इसके पीछे के कारण को अब आप विस्तार में समझ चुके हैं की मकर संक्रांति हर साल 14 या 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है
मकर संक्रांति का महत्व क्या है | Makar sankranti kab manaya jaata hai
भारतीय कैलेंडर के अनुसार महीने को दो पक्षों में बांटा गया है, इसमें महीने के 1 तारीख से 15 तारीख के बीच को शुक्ल पक्ष और 15 तारीख से 30 या 31 तारीख कृष्ण पक्ष होता है|
ठीक उसी प्रकार वर्ष को भी भारतीय कैलेंडर के अनुसार दो भागों में बांटा गया है, इसमें वर्ष का प्रथम 6 माह उत्तरायण और छह माह को दक्षिणायन कहा जाता है. यदि उत्तरायण और दक्षिणायन को मिला दिया जाए तो 1 वर्ष बनता है.
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है, यही कारण है, कि गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है. इस्तेमाल को मनाने के पीछे वैज्ञानिक और खगोलीय कारण शामिल है.
हिंदू और सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने असुरों अंत करके उनके कटे हुए सर को मंदार पर्वत पर दबाकर, देवताओं और असुरों के बीच चलने वाले युद्ध की समाप्ति की थी, इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराई और नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने का भी पर्व कहा जाता है.
मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा
मकर संक्रांति हिंदू धर्म से जुड़े एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, ऐसे कई पुराने घटनाएं हैं जो आज के दिन ही घटित हुई है, आज के दिन ही सूर्यनारायण धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और इसी दिन हुए अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं जो मकर राशि के स्वामी हैं. धनु और मकर राशि के इस मेल को मकर संक्रांति कहा जाता है
हिंदू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही प्रभु श्री राम के पूर्वज भागीरथी ने माता गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया था, और वह उनका अनुसरण करते हुए कपिल मुनि के आश्रम से गुजरती हुई धरती पर अवतरित हुई.
इसलिए उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन ही गंगा स्नान का प्रचलन भी है, ऐसा कहा जाता है की गंगा स्नान करने के बाद मकर संक्रांति का पर्व मनाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
एक मान्यता के अनुसार, माता यशोदा ने विष्णु को अपने पुत्र के रूप में पाने के लिए व्रत रखा था, उसी वरदान को पाते हुए माता यशोदा ने भगवान कृष्ण के रूप में विष्णु को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त किया था|
महाभारत के अनुसार मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा
महाभारत के अनुसार, इस त्यौहार के दिन, महारथी धनुर्धारी कर्ण अपने स्वर्ण भंडार सभी भिखारी और जरूरतमंदों के लिए खोल देते थे, वही पुराणों के अनुसार सभी देवताओं का नया वर्ष प्रारंभ होता है,
शिव पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव के द्वारा भगवान विष्णु को आत्मज्ञान दिया गया था, और भगवान शिव के द्वारा उन्हें सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई थी, यही कारण है कि हिंदू धर्म में इस दिन को सबसे पवित्र दिन और सबसे पवित्र त्योहार के रूप में माना जाता है|
पुरानो में ऐसा लिखा गया है कि, जिनकी मृत्यु मकर संक्रांति के दिन होती है उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है, महाभारत के युद्ध के समय भीष्म पितामह ने भी अपने प्राण का त्याग किया था| चुकी भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था लेकिन जब अर्जुन ने उन्हें खड़ी तीर कि सैया पर लिटा दिया, तब भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने से मना कर दिया, और उन्होंने उत्तरायण के समय को अपनी मृत्यु का समय के रूप में चुना| और 58 दिनों तक तीर कि सैया पर लेटे हुए मकर संक्रांति के दिन ही उन्होंने अपने प्राण को त्यागा|
मकर संक्रांति के दिन पतंग की उड़ाई जाती है
हिंदू धर्म और मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का भोग करके पतंग उड़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है, लेकिन कई बार हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग की उड़ाई जाती है क्या इसका कोई धार्मिक कारण है.
सनातन धर्म में अपनाए जाने वाले सभी नियम कहीं ना कहीं वैज्ञानिक कारणों से जुड़े हुए हैं, मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने काम है अपना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है, पुराने धार्मिक मान्यता के आधार पर पतंग उड़ाने का परंपरा भगवान श्री राम के समय से चली आ रही है,
भारत के तमिल भाषा में लिखे गए तन्दनानरामायण के अनुसार मकर संक्रांति पर भगवान श्री राम ने एक पतंग उड़ाई थी. उनके द्वारा उड़ाई गई या पतंग इंद्रलोक चली गई, धरती लोक से इंद्रलोक में आया पतंग देखकर सभी देवता गण काफी खुश हुए, तब से यह पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी जारी है.
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा हमारे शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है दरअसल सुबह स्नान करके इस पर्व को मना कर धूप में पतंग उड़ाते समय हम आसमान की ओर देखते हैं, जिसे हमारी आंखों और शरीर को धूप से विटामिन डी प्राप्त होता है जिसे हमारी आंखें स्वस्थ रहती हैं, और साथ ही त्वचा संबंधी कई रोग से भी छुटकारा मिलता है|
मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं | मकर संक्रांति मनाने का तरीका
क्योंकि भारत में कई अलग अलग राज्य हैं और सभी अलग अलग राज्य की अपनी मान्यता और परंपरा है, इसलिए मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसे अलग अलग राज्यों में अलग तरीके से मनाया जाता है|
उत्तर भारत मे मकर संक्रांति मनाने का तरीका
मकर संक्रांति मनाने का तरीका उत्तर भारत में कुछ अलग है और दक्षिण भारत में कुछ अलग, उत्तर भारत में इस दिन गंगा स्नान करने की प्रथा है, इस दिन गंगा स्नान करके सूर्य को जल चढ़ाया जाता है और सूर्य की उपासना की जाती है,
इस दिन दान का अधिक महत्व होता है इसलिए दान करने वाली वस्तु जैसे तिल गुड़ लड्डू पैसे और कपड़े छूकर दान किया जाता है, इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू , तिल पपड़ी , गज़क का भोग किया जाता है|
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति चार दिवस के रूप में मनाया जाता है, पहले दिन को पुंगल कहते हैं इसी प्रकार दूसरा दिन सूर्य पोंगल कहलाता है, तीसरे दिन को मट्टू- पोंगल, और चौथे दिन कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है|
इस पर्व के अवसर पर चावल के विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं, घर की लड़कियां घर में रंगोली बनाती है, और घर के सभी सदस्य भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं|
मकर संक्रांति त्यौहार पर निबंध
इस पोस्ट में हमने विस्तार से मकर संक्रांति पर निबंध के रूप में आपको मकर संक्रांति से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी जैसे मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है , मकर संक्रांति का क्या महत्व है, मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा, के बारे में जाना,
एक प्रश्न जो अक्सर गूगल पर सर्च किया जाता है कि 14 या 15 जनवरी, जानें मकर संक्रांति किस दिन मनाई जाएगी इस प्रश्न का जवाब भी आपको विस्तार में बता दिया गया है की 2023 मे मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी इसके साथ ही साथ इसके 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने के पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक कारणों को बता दिया गया है|
हमें उम्मीद है कि मकर संक्रांति पर निबंध से जुड़ा यह लेख पढ़कर आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा, यदि आपको हमारा Makar sankranti से जुड़ा यह पोस्ट कैसा लगा हमें अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में दें, साथी इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया जैसे फेसबुक व्हाट्सएप टि्वटर इत्यादि पर शेयर करें जिससे इस विषय पर और भी लोग जानकारी प्राप्त कर सकें
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