22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद इसे 23 जनवरी से आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। इस मंदिर को लेकर देश-विदेश में लोगों के अंदर काफी उत्साह देखा जा रहा है। लोग उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं। आज हम आपको राम मंदिर से जुड़े हुए कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे, जिन्हें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
यह मंदिर 70 एकड़ में बना है। श्रद्धालु पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंह द्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। इस मंदिर की नींव को बनाने में 2587 जगहों की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है।
अयोध्या में बने राम मंदिर में पांच आकर्षक मंडप भी बनाए गए हैं। इन मंडपों में नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, कीर्तन मंडप और प्रार्थना मंडप शामिल हैं। डिजाइन संरचना के आधार पर यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। इस पूरे मंदिर का निर्माण नगर शैली में किया गया है। इसकी लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है।
राम मंदिर की बनावट से जुड़े तथ्य
आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे बनाने में लोहे या स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि यह भव्य मंदिर हजारों वर्षों तक टिका रहे। यह राम मंदिर तीन मंजिला है। हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 300+ खंबे व 46 गेट हैं। इन खंबो व दीवारों में देवी-देवता और देवांगना की मूर्तियां बनाई गई हैं।
मंदिर के भूतल पर बने राम लला के गर्भ गृह में सोने की परत वाले दरवाजे लगे हैं। भूतल पर मौजूद सभी 14 दरवाजों पर सोने की परत वाले दरवाजे लगाए गए हैं। मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने के दरवाजों की ऊंचाई करीब 12 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 8 फीट है। मंदिर में लगे कुल 46 दरवाजों में से 42 पर 100 किलोग्राम सोने की परत चढ़ाई गई है।
राम मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल की गई ईंटों पर भी श्रीराम लिखा हुआ है। यह पूरा मंदिर 2.7 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर का भूतल भगवान राम के जीवन को दर्शाता है, जबकि पहली मंजिल पर भगवान राम के दरबार की भव्यता होगी। मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़े गए टाइम कैप्सूल में मंदिर, भगवान राम और अयोध्या के बारे में प्रासंगिक जानकारियां अंकित की गई हैं और ऐसा आने वाली पीढ़ी के लिए मंदिर की पहचान को संरक्षित करने के मकसद से किया गया है।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में देश के कोने-कोने से आई खास सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है। कहीं से लकड़ी आई तो कहीं से मार्बल। आइए जानते हैं रामलला के मंदिर के निर्माण के लिए कहां से कौन-कौन सी चीजें आईं:
राजस्थान से -पिंक स्टोन और मार्बल
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में पिंक स्टोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे मंदिर परिसर में बनने वाले म्यूजियम, रिसर्च सेंटर, गौशाला और यज्ञशाला आदि को तैयार किया जा रहा है। जानकारों की माने तो यह पत्थर राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से मंगाया गया है। मंदिर से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बंशी पहाड़पुर से 4 लाख क्यूबिक फीट स्टोन मंगाया गया है। इसके अलावा, मंदिर का परकोटा जोधपुर स्टोन से बनाया गया है। साथ ही, राजस्थान का मशहूर मार्बल भी मंदिर बनाने में इस्तेमाल हो रहा है।
कर्नाटक से मंगाई गई विशाल चट्टान
कर्नाटक के ककराला से एक विशाल चट्टान अयोध्या भेजी गई थी। कहा जा रहा है कि भगवान राम की प्रतिमा को बनाने में इसी चट्टान का प्रयोग किया गया है। यह चट्टान तुंगभद्र नदी के किनारे से ली गई है।
नेपाल से आया शालिग्राम पत्थर
अयोध्या में भगवान राम और माता जानकी की प्रतिमाओं के निर्माण के लिए नेपाल से शालिग्राम के पत्थर मंगाए गए हैं। 31 टन और 15 टन के इन दो पत्थरों पर काफी काम किया जा चुका है। यह पत्थर नेपाल की गंडकी नदी के किनारे से लिए गए हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक शालिग्राम पत्थर भगवान विष्णु का ही प्रतीक माना जाता है।
महाराष्ट्र की टीक वुड
राम मंदिर के दरवाजों का फ्रेम मार्बल से तैयार किया गया है, जबकि दरवाजे टीक वुड से बनाए गए हैं। बता दें कि टीक वुड को महाराष्ट्र से मंगाया गया है। इन दरवाजों पर बहुत ही बेहतरीन नकाशी का भी काम किया गया है।
राम मंदिर में कितने ईटें लगाए गए हैं
राम मंदिर की मजबूती के लिए इसकी नींव में ग्रेनाइट से इसका बेस बनाया गया है। इसमें 177000 ग्रेनाइट के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और हर पत्थर का वजन करीब दो टन है। वहीं, मंदिर में इस्तेमाल की गई ईंटें देश भर के करीब 5 लाख गांवों से ली गई हैं।
इस मंदिर में इस्तेमाल हुई ईंटें एक विशेष फार्मूले से बनी हैं, जिससे वे सामान्य ईंटों से 4-5 गुना ज्यादा मजबूत हैं। इसके लिए हाईएस्ट लेवल ऑफ ब्रिक्स का इस्तेमाल किया गया है, जो वर्तमान में उपलब्ध सबसे बेहतर और वास्तविक तकनीक को दर्शाता है। इस मंदिर में पिंक सैंड स्नो नामक पत्थर का उपयोग किया गया है, जो राजस्थान से मंगवाया गया था और इसमें फिल्ड स्पार और क्ड्स नामक दो मिनरल्स की अधिक मात्रा होने के कारण यह अत्यंत मजबूत है।
इस मंदिर ने अपने बनावट के साथ न केवल भूकंप को सहा है, बल्कि एक हाईएस्ट स्तर का टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट भी प्रदर्शित किया है। इसे ऐसे बनाया गया है कि यह मौसम और वेदर की सभी परिस्थितियों का सामना कर सके। इसकी उम्र का अनुमान 1000 साल से भी अधिक है, और आर्किटेक्ट्स का कहना है कि यह आने वाले समय तक ऐसा ही बना रहेगा।
राम मंदिर का डिज़ाइन किसने बनाया?
मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा हैं। उनके साथ इस महत्त्वपूर्ण काम में उनका सहयोग दे रहे हैं उनके दोनों बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा। पिता-पुत्र की तिकड़ी ने मिलकर अयोध्या के राम मंदिर का डिजाइन तैयार किया है। सोमपुरा मंदिर वास्तुकार की एक लंबी कतार से आते हैं और अहमदाबाद से आने वाले परिवार की 15वीं पीढ़ी हैं।
जबकि उन्होंने वास्तुकला में कोई औपचारिक प्रशिक्षण भी नहीं लिया है। चंद्रकांत सोमपुरा के दादा पीओ सोमपुरा ने 1949 में गुजरात में पुनर्जीवित सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था और सोमपुरा की कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों में गुजरात के अक्षरधाम, मुंबई का स्वामीनारायण मंदिर और कोलकाता में बिड़ला मंदिर शामिल है। बिड़ला परिवार के माध्यम से ही विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर के डिजाइन के लिए सोमपुरा से संपर्क किया था। चंद्रकांत सोमपुरा ने राम मंदिर का काम 3 साल पहले ही शुरू कर दिया था।
रामलल्ला की मूर्ति काली क्यों है | Ram Lalla Ki Murti Kali Kyu Hai?
अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु श्री राम की मूर्ति काली है, जिसे देखकर कई लोगों के मन में हर सवाल उठता है कि Ram Lalla Ki Murti Kali Kyu Hai? और रामलला की मूर्ति काले पत्थर से ही क्यों बनाई गई है? आज हम आपको इस पत्थर की विशेषता भी बताते हैं लेकिन इससे पहले राम लला की मूर्ति की खासियत जान लीजिए यह मूर्ति पांच वर्षीय बाल स्वरूप में बनाई गई है जिसमें राम लला के बाल रूप को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया गया है.
मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार ओम स्वास्तिक शंख चक्र भी मौजूद है प्रभु श्री राम विष्णु भगवान के अवतार थे, इसलिए भगवान विष्णु से जुड़े इन चिन्हों को शामिल किया गया है, जो प्रभु श्री राम की मूर्ति को और भी ज्यादा भव्य बना रहे हैं. श्री राम की प्रतिमा के सिर पर सूर्य बनाया गया है श्रीराम सूर्यवंशी थे और उनका जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था. जिस वक्त सूर्य की तीव्रता अपने चरम पर होती है राम लला की मूर्ति के चारों ओर बने विग्रह में भगवान राम के 10 अवतार के दर्शन होते हैं.
इसमें सबसे पहले मत्स दूसरे में कर्म तीसरे तीसरे में वराह चौथे में नसिंग पांचवें पर वामन छठे पर परशुराम सातवें पर राम आठवें पर कृष्ण नौवें पर बुद्ध और दसवें स्थान पर कल्की के दर्शन होते हैं इसके साथ ही एक तरफ हनुमान दूसरी ओर गरुड़ भी विराजमान है
रामलला की ये मूर्ति काले रंग के पत्थर से बनी है इसकी ऊंचाई 51 इंच और वजन करीब 200 किग्रा है जिस काले पत्थर से इस मूर्ति को बनाया गया है. वह शालिग्राम है, जो एक पत्थर की तरह होता है. प्रभु श्रीराम की मूर्ति बनाने के लिए इसे नेपाल की गंडक नदी से निकाल कर लाया गया था.
अयोध्या राम मंदिर के बारे में रोचक तथ्य | Amazing Ram Mandir Fact
1. राम मंदिर के उद्घाटन के दिन 108 फुट लंबी और बड़ी अगरबत्ती जलाई गई है, जो पूरे अयोध्या को महका देगी और इस अगरबत्ती का वेट है 3500 KG और कहा जाता है कि यह अगरबत्ती 1 महीने तक जलती रहेगी.
2. हमारे राम मंदिर में एक विशाल घंटा लगाया गया है, जिसका वेट 600 KG है. और जब इसको बजाया जाएगा तब इसमें से ओम (ॐ) की ध्वनि निकलेगी जो 10 KM तक सुनाई देगी.
3. राम मंदिर का निर्माण प्राचीन पद्धति से किया गया है इसमें लोहा या स्टील या सीमेंट का कोई भी यूज नहीं हुआ है पूरे मंदिर को पत्थरों के ब्लॉक को जोड़कर बनाया गया है
4. राम मंदिर को कॉंक्रीट से नहीं बल्कि मैजिकल स्टोन से बनाया जा रहा है, यह पत्थर बंसी पहाड़पुर पे पाई जाती है और यह जगह राजस्थान के भारतपुर डिस्ट्रिक्ट में है, यह कोई नॉर्मल पत्थर नहीं है बल्कि हजार सालों तक यह पत्थर खराब नहीं होंगे वक्त के साथ-साथ इस पत्थर की खूबसूरती और मजबूती और भी ज्यादा निखरती जाएगी और यह पत्थर वाटरप्रूफ के साथ-साथ डस्ट प्रूफ भी है. और यह पत्थर इतना ज्यादा मजबूत है कि 99.99 मैग्नीट्यूड के भूकंप को भी झेल सकता है.
5. इस मंदिर की बनावट को समझने के लिए हम एक फिजिक्स का उदाहरण लेते हैं, भूकंप बिल्डिंग पर ज्यादा असर करती है क्योंकि बिल्डिंग बहुत ऊंचे होते हैं, इसलिए उनका सेंटर ऑफ मास जमीन से काफी ऊपर होता है, और फिजिक्स के नियम के अनुसार सेंटर ऑफ मास्क जितना ऊपर होगा उतना ही बिल्डिंग अनस्टेबल होगी, इस हिसाब से अगर राम मंदिर की बात करें तो राम मंदिर को 161 फीट ऊंचा बनाया गया है और इसकी चौड़ाई 250 फीट रखी गई है जिससे इसका सेंटर ऑफ मास धरती के काफी नजदीक है और इस तरह यह मंदिर बड़े से बड़े भूकंप के झटके को भी झेल सकती है.
6. अयोध्या में बने इस राम मंदिर में 390 पिलर, 46 दरवाजे और पांच मंडप है इसके साथ ही साथ इस मंदिर में कुछ ऐसे लिफ्ट भी बनाए गए हैं जिसकी मदद से अपाहिज और विकलांग व्यक्ति भी प्रभु श्री राम के दर्शन कर सकते हैं,
7. राम मंदिर की नीव रखने के लिए 2587 पवित्र स्थलों से मिट्टी को लाया गया है, जिसमें से यमुनोत्री, हल्दीघाटी, केदारनाथ बद्रीनाथ गंगा यमुना जैसे जगह से मिट्टी एकत्रित करके लाया गया है, इसके साथ ही साथ राम मंदिर की नीव रखने के लिए डेढ़ सौ से भी ज्यादा नदियों का जल लाया गया था, जिसमें श्रीलंका की नदियां भी शामिल है
8. मंदिर के शिखर पर पीतल से बना हुआ 44 फीट ऊंचा और 5500 किलो का ध्वज लगाया गया है, इस मंदिर के दूसरे तरफ एक जटायु महाराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई है जिसका मुख राम मंदिर की ओर रखा गया है.
9. मंदिर के उद्घाटन के दौरान हजारों जटायु यानी गिद्धों को देखा गया, पिछले कुछ साल की रिपोर्ट के अनुसार गिद्ध भारी मात्रा में विलुप्त हुए हैं फिर अचानक कहां से इतने सारे गिद्ध आज गए इस बात की पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है वही साथ ही साथ राम मंदिर के उद्घाटन के बाद हर दिन अयोध्या में बंदरों की संख्या बढ़ने लगी है जैसे वह अपने राजा राम के स्वागत के लिए अयोध्या में आए हैं
10. राम मंदिर में स्थापित होने वाले रामलाल की मूर्ति में पूरा का पूरा सनातन धर्म समय हुआ है, जिस मूर्ति को राम मंदिर में स्थापित किया गया है वह मूर्ति भगवान श्री राम बाल्यावस्था के पांचवें वर्ष की है. इस मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है जो नेपाल के गंडक नदी से निकल गया था.
11. रिपोर्ट के अनुसार मुकेश अंबानी और नीता अंबानी ने 33 किलो सोना राम मंदिर के लिए डोनेट किया है. 2024 के अनुसार जिसकी कीमत 179,619,202 INR के करीब है.
12. इस मंदिर को बनाने में 18000 करोड रुपए की लागत आई है, यह पैसा देश के सरकारी खजाने से नहीं बल्कि लोगों के द्वारा दान किया गया है. लोगों के द्वारा दान की गई रकम 32 करोड रुपए थी जिसे राम मंदिर ट्रस्ट ने एसबीआई और दूसरे अलग-अलग बैंकों में फिक्स डिपाजिट कर दिया और कुछ समय बाद उसे पैसों के ब्याज से इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
राम मंदिर में रखा हुआ Time Capsule क्या है ?
- टाइम कैप्सूल एक कंटेनर होता है जिसे किसी विशेष समय में किसी देश या समाज के इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए जमीन के अंदर दफनाया जाता है।
- टाइम कैप्सूल को ताम्रपत्र, धातु या अन्य टिकाऊ सामग्री से बनाया जाता है ताकि यह हजारों साल तक सुरक्षित रह सके।
- अयोध्या में राम मंदिर की नींव में 2,000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल डाला जाएगा।
- इस टाइम कैप्सूल में अयोध्या, भगवान राम और उनके जन्म स्थान के बारे में जानकारी होगी।
- भारत में पहले भी कई ऐतिहासिक इमारतों की नींव में टाइम कैप्सूल डाले गए हैं।
- इसमें अयोध्या, भगवान राम और उनके जन्म स्थान के बारे में जानकारी होगी।