आज हम योग के सबसे बड़े योगासन सूर्य नमस्कार के बारे में जानेगे- सूर्य नमस्कार क्या है? सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां (How To Do Surya Namaskar, Steps, poses, mantra, Benefits, Precautions”) इत्यादि से जुडी सभी सवालो की विस्तृत जानकारी इस Post में मिलेगी. तो कृपया इस आर्टिकल के साथ बने रहें.
सूर्य नमस्कार क्या है? करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां
सूर्य एक संस्कृत शब्द है| यह ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक है और नमस्कार को संस्कृत में नमः से लिया गया है जिसका अर्थ है “प्रार्थना करना” या “सूर्य की उपासना करना” सूर्य नमस्कार का उल्लेख 1500 ई.पू. प्राचीन भारतीय वेद – ऋग्वेद में मिलता है|
यदि सरल भाषा में कहे तो ‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को नमन करना है। सूर्य नमस्कार को अंग्रेजी में “Sun Salutation” भी कहते है| प्राचीन काल में “सूर्य नमस्कार” सूर्य की पूजा करने के लिए बनाया गया था| परन्तु इसके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को देखते हुए इसे योग के रूप में किया जाने लगा|
यह 12 योग को मिलकर बना पूर्ण यौगिक व्यायाम है| सूर्य नमस्कार सबसे प्रसिद्ध योग-आसनों में सबसे शातिशाली योगो में से एक है| यह एकमात्र ऐसा शारीरिक योग है, जिसमे आपके शारीर का प्रत्येक हिस्सा कार्यशील हो जाता है| “सूर्य नमस्कार के फ़ायदे” (Benefit of surya namaskar) के बारे में हम निचे विस्तार में जानेगे
सूर्य नमस्कार के योगाभ्यास करने से हृदय की महत्वपूर्ण कसरत के आलावे शरीर और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। और आप सुबह के बहुत कम समय का उपयोग करके अपने मन और शरीर को शांत व स्वस्थ रख सकते है|
सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका क्या है (Surya Namaskar steps and poses)
सूर्य नमस्कार एक प्रकार का शारीरिक क्रिया है| और कई लोग इसे करते समय कुछ गलतियाँ भी करते है और उस गलत सूर्य नमस्कार से उनके शरीर पर कुछ विपरीत प्रभाव भी पड़ने लगते है|
परन्तु आप बिलकुल भी चिंता ना करे आपकी सुविधा के लिए इस post में Surya Namaskar step by step guide के साथ-साथ कुछ Surya Namaskar poses image और Surya Namaskar ka vedios को शामिल किया गया है| और इसे पढ़ने और देखने के बाद आप “सूर्य नमस्कार करने का सही तरीके” के बारे में भली भाती समझ जायेगे|
यदि आप अपने दिन की शुरुआत सूर्य नमस्कार से करना चाहते है तो यहाँ सूर्य नमस्कार स्टेप-बाई-स्टेप गाइड (Surya Namaskar step by step guide) को फॉलो कर सकते है|
सूर्य नमस्कार करने से पहले कुछ ज़रूरी बाते (surya namskar tips)
यह कोई साधारण व्ययाम नहीं है अपितु यह साक्षात् सूर्य को नमन करने के समान है| अत: इसे करने से पहले निम्नलिखित बातो का ध्यान रखे-
- Sun Salutation करने का सबसे उत्तम समय सुबह होता है| यदि आप इस योग को 6 बजे से पहले यानी लगभग 5:00 – 5:30 के बिच में करते है तो आप इसके अधितम लाभ को प्राप्त कर पायेगे|
- इस योग को करने से पहले सूक्ष्म व्यायाम अवश्य करे| सूक्ष्म व्यायाम आपके Body के सारे नसों और जोड़ो को सक्रीय (active) कर देता है|
- इस योग को करते समय यह ध्यान से की आपका चेहरा सूरज उगने की दिशा में हो| अर्थात सुबह पूर्व की ओर और शाम को पश्चिम की ओर मुंह करके इसे किया जाता है|
- इसे करते समय Yoga Mates का इस्तेमाल करे, यदि आपके पास Yoga Mates नहीं है तो आप चटाई का भी इस्तेमाल कर सकते है|
- इसके अभ्यास के ठीक पहले पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ का सेवन ना करे
- इस अभ्यास को करते समय सकारात्मक विचारों को मन में दोहराते रहे|
- Sun Salutation को धीरे धीरे करे और पूर्ण रूप से सांसो की गति और सांसो के क्रम पर ज़रूर ध्यान दे|
- इस योग को खाली पेट करने से अधिक लाभ होता है| अत: यह ध्यान दे की आप इसे खली पेट ही करे
- इस योग के एक सेट में कुल 12 steps होते है| यदि आप इस योग का अधिकतम लाभ उठाना चाहते है तो इसके 9 सेट ज़रूर करे| और यदि आपके पास समय की कमी है तो आप इसके 6 सेट भी कर सकते है|
- इस योग को लगभग सभी उम्र के महिला, पुरुष, बच्चों के द्वारा किया जा सकता है|
सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन कौन से है (12 Steps of Surya Namaskar in Hindi)
1. प्रणाम आसन (Pranamasana – The Prayer Pose)
प्रणाम आसन में आप बिलकुल सीधी स्थिति में सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हो जाए, कोशिश करे की दोनों पैर समान्तर हो और दोनों कंधे उठे हो| अपने दोनों हाथो को जोड़ लें, अब सांस अंदर लेते हुए अपने हाथ ऊपर करें और सांस निकालते हुए अपने दोनों हाथो को प्रणाम मुद्रा में ले आये| और “ॐ सूर्याय नम:” मंत्र का उच्चारण करे|
श्वास : सामान्य
एकाग्रता : अनाहत चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ मित्राय नम:) मंत्र का जाप करे.
प्रणाम आसन के लाभ
यह मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है साथ ही यह हृदय चक्र को भी मजबूत करता है, और सूर्य नमस्कार करने के लिए एकाग्रता की भावना पैदा होती है|
2. हस्तउत्तानासन (Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)
हस्तउत्तानासन में सांस लेते हुए हाथों को ऊपर ले जाए| और कमर के ऊपर के हिस्से की सभी मांसपेशियों, उंगलियों की नोक और एड़ी को ऊपर की ओर खीचते हुए अपने दोनों हाथो को ऊपर की ओर ले जाए और कमर को पीछे की तरफ झुकाये| और अपनी पैरो को सीधे रखे|
श्वास : भुजाओं को उठाते समय श्वास लीजिये।
एकाग्रता :विशुध्दि चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ रवये नम:) या (ॐ रविये नम:) मंत्र का जाप करे.
हस्तउत्तानासन के लाभ
यह आसान आपके फेफड़े की ऑक्सीजन सेवन की क्षमता को बढ़ता है| श्वसन प्रक्रिया, कान और गले की समस्याओं के विकार को दूर करता है| यह अस्थमा के रोगियों के लिए आफी लाभदायक प्राणायाम में से से एक है| साथ ही यह आपके गले के चक्र को सक्रिय करता है
3. पादहस्तासन (Padahastasana – Standing Forward Bend)
इस चरण में सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकते हुए अपने हाथों को पैरों के पंजो के पास जमीन पर रखना होता है| ध्यान रखे इस क्रिया को करते समय आपकी भुजाये और सर एक ही साथ हो| इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए। इसे पादहस्तासन कहा जाता है|
श्वास : श्वास लीजिये एवं सामने की ओर झुकते समय श्वास छोड़िये।
अधिक से अधिक सांस बाहर निकालने के लिए अन्तिम स्थिति में आमाशय को सिकोड़िये।
एकाग्रता : स्वाधिष्ठान चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ सूर्याय नम:) मंत्र का जाप करे.
पादहस्तासन के लाभ
यह आसन हमारे शरीर को लचीला बनाता है, हमारे हार्मोन ग्लैंड्स को सक्रीय करता है, अनिद्रा और ऑस्टियोपोरोसिस, चिंता, तनाव और सिरदर्द जैसे विकार को दूर करता है साथ ही साथ जांघों और घुटनों कूल्हों और हैमस्ट्रिंग को खोलता है
4. अश्व संचालन आसन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)
धीरे-धीरे गहरी सांस लें और दाई पैर को पीछे की ओर ले जाए। पैर का घुटना जमीन से सटा होना चाहिए और दाई पैर पंजो पर हो। आपके बांया पैर का घुटना 90 डिग्री पर दोनों हाथो के बिच और सर ऊपर की तरफ हो| और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें
श्वास : बाएं पैर को पीछे ले जाते समय श्वास लीजिये।
एकाग्रता : आज्ञा चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ भानवे नम:) मंत्र का जाप करे.
अश्व संचालन आसन के लाभ
यह आपके मन को शांत करता है और आपकी याददाश्त शक्ति को बढ़ाती है| रीढ़ को मजबूत करता है| फेफड़ों की क्षमता, गुर्दे और यकृत के कार्य प्रणाली में भी सुधार लाता है|
5. दंडासन (Dandasana – Staff Pose )
अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों और पैरों को सीधी लाइन में ले आये| अब आपकी स्थिति पुश-अप की पोजीशन वाली बन जाएगी| इस मुद्रा में अपने शारीर के वजन को अपने हाथों और पंजों पर नियंत्रित करे| ध्यान रहे की इस अवस्था में आपके आपके सर पीठ और नितम्ब एक सीध में हो|
श्वास : दायें पैर को सीधा करते एवं धड़ को उठाते समय श्वास छोड़िये।
एकाग्रता : विशुध्दि चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.।
मंत्र: (ऊँ खगाय नम:) मंत्र का जाप करे.
दंडासन के लाभ
यह आपके बाहों, कंधों, हाथ की कलाई, मांसपेशि और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है| साथ ही यह आपके मस्तिष्क कोशिकाओं को शांत करता है| यह योग पेट की फैट (Burn Belly Fat) के लिए भी काफ़ी लाभदायक होता है|
6. अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara – Salute With Eight Parts Or Points)
अब सांस लेते हुए अपनी हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को जमीन से मिलाएं। इस क्रिया में छाती और ठुड्डी जमीन में स्पर्श होने चाहिए| इस अवस्था में सांस को रोकें रहे। इस योग में आपके शारीर के आठो अंग जमीन में सटे होते है| जैसे आपके दोनों पंजे, दोनों घुटने, दोनों हथेली, छाती और आपकी ठुड्डी (chin). इसलिए इसे अष्टांग नमस्कार कहते है|
श्वास : स्थिति 5 में छोड़ी हुई श्वास को बाहर ही रोके रखिये।
एकाग्रता: मणिपुर चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र: (ऊँ पूष्णे नम:) मंत्र का जाप करे.
अष्टांग नमस्कार के लाभ
यह योगक्रिया बाजुओं, कंधों और पैरों को मजबूत बनाता है| पीठ की मांसपेशियों, गर्दन और कंधे और रीढ़ में लचीलेपन लाता है| साथ ही यह दिल और रक्त चाप के लिए लाभदायक होता है|
7. भुजंग आसन (Bhujangasana – Cobra Pose)
सांस लेते हुए हथेलियों को जमीन पर रखकर पेट को जमीन से मिलाते हुए सिर को पीछे आसमान की ओर जितना हो सके झुकाएं। यह सुनिश्चित करे की आपके पैरो के पंजे बहार की ओर और आपकी पैर सीधी अवस्था में हो|
श्वास: कमर को धनुषाकार बनाकर उठते हुए श्वास लीजिये।
एकाग्रता: स्वाधिष्ठान चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ हिरण्यगर्भाय नम:) मंत्र का जाप करे.
भुजंगआसन के लाभ
यह हमारे पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है| पाचन प्रक्रिया को सुधारता है, रक्त परिसंचरण, पीठ दर्द, मासिक धर्म इत्यादि में लाभकारी होता है|
8. अधोमुख शवासन (Adho Mukha Svanasana – Downward-facing Dog Pose)
इसके अभ्यास के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें। इस आसन को करने के बाद आप पर्वतनुमा स्थिति में आ जाते है| ध्यान रहे इस स्थिति में आपके दोनों पैर के पंजे जमीं से सटे हो आपकी दोनों हथेलियाँभी जमीन से सटी हो और सर दोनों हाथो के बिच झुका हुआ हो|
श्वास : दायें पैर को सीधा करते एवं धड़ को उठाते हुए श्वास छोड़िये।
एकाग्रता : विशुध्दि चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ मरीचये नम:) मंत्र का जाप करे.
अधोमुख शवासन के लाभ
अधोमुख शवासन के अविश्वसनीय स्वास्थ्य लाभ है यह रक्त परिसंचरण, नसों की समस्या, तनाव, मासिक धर्म, पीठ दर्द, सिरदर्द, रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में रक्त के प्रवाह इत्यादि को सुधारता है| साथ ही यह आसन आपके तंत्रिका तंत्र के लिए भी फ़ायदेमंद है|
9. अश्वसंचालन आसन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)
अपने कुल्हे हो निचे लाये और धीरे-धीरे सांस लेंते हुए दाहिने पैर को आगे लाये और दाये पैर के घुटने को जमीन पर रखते हुए फिर से अश्वसंचालन आसन की मुद्रा में आ जाए| और सिर को आसमान की ओर रखें|
श्वास : बाएं पैर को पीछे ले जाते समय श्वास लीजिये।
एकाग्रता : आज्ञा चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ आदित्याय नम:) मंत्र का जाप करे.
अश्वसंचालन आसन के लाभ
इसके लाभ 4 चरण के समान है|
10 .पादहस्तासन (Padahastasana – Standing Forward Bend)
पादहस्तासन के 10 वें क्रिया में धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं| इस योगक्रिया में आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए। शुरुआत में हो सके ये आपके लिए आसान ना हो परन्तु धीरे धीरे आप इसके आदि हो जायेगे|
श्वास :सामने की ओर झुकते समय श्वास छोड़िये।
अधिक से अधिक सांस बाहर निकालने के लिए अन्तिम स्थिति में आमाशय को सिकोड़िये।
एकाग्रता : स्वाधिष्ठान चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ सवित्रे नम:) मंत्र का जाप करे.
पादहस्तासन के लाभ
इसके लाभ 3 चरण के समान है|
11. हस्तउत्थान आसन(Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)
धीरे धीरे साँस लेते हुए हाथों को ऊपर ले जाए| और कमर के ऊपर के हिस्से की सभी मांसपेशियों, उंगलियों की नोक और एड़ी को ऊपर की ओर खीचते हुए अपने दोनों हाथो को ऊपर की ओर ले जाए और कमर को पीछे की तरफ झुकाये| और अपनी पैरो को सीधे रखे| जैसा कि आपने 2 चरण में किया था|
श्वास : भुजाओं को उठाते समय श्वास लीजिये।
एकाग्रता : विशुध्दि चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ अर्काय नम:) मंत्र का जाप करे.
हस्तउत्थान आसन के लाभ
इसके लाभ 2 चरण के समान है|
12. प्रणाम आसन (Pranamasana – The Prayer Pose)
धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए प्रणाम आसन में आ जाए| ध्यान रहे दोनों पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं।
श्वास : सामान्य।
एकाग्रता : अनाहत चक्र पर अपनी ध्यान को केन्द्रित करे.
मंत्र : (ऊँ भास्कराय नम:) मंत्र का जाप करे.
प्रणाम आसन के लाभ
इसके लाभ 1 चरण के समान है|
सूर्य नमस्कार का वीडियो – Surya Namaskar ka video
अब तक आपने “Steps of Surya Namaskar in Hindi” के बारे में समझ चुके है की “सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका क्या है” यदि अभी भी इस योग के poses और steps को लेकर आपके मन में कोई उलझन या सवाल है तो आप निचे दिए गए “Surya Namaskar ka video” को देख सकते है और सही steps और poses की practice कर सकते है|
सूर्य नमस्कार करने के बाद कौन से आसन किया जा सकता है|
वैसे तो आपके शरीर के सभी क्रियाओ को एक्टिव करने के लिए Surya namskar काफ़ी है परन्तु आप चाहते है की इसके बाद और भी औं से योग किया जाए जिससे आपको लाभ मिले तो आप Surya namskar के साथ निम्नलिखित योग कर सकते है|
- परिवृत्त त्रिकोणासन -Parivrtta Trikonasana or Revolved Triangle Pose
- उत्थित पार्श्वकोणासन -Utthita Parsvakonasana or Extended Triangle Pose
- शवासन –Savasan
- भ्रामरी प्राणायाम-Bhramari Pranayama
- पादहस्तासन -Padahastasana or Hand to Foot Pose
- पादंगुष्ठासन -Padungasthasana or Big Toe Pose
- उत्थित त्रिकोणासन -Utthita Trikonasana or Extended Triangle Pose
सूर्य नमस्कार करते समय कुछ सावधानियां (Precautions for Surya Namaskar)
सूर्य नमस्कार करते समय व्यक्ति कुछ गलतियाँ कर देते है और इस गलती के कारण उन्हें इस योग का लाभ नहीं मिल पाता है| “How To Do Surya Namaskar” के इस post में कुछ सावधानियाँ दी गई है| जो आपके लिए जरूरी है ध्यान रहे सूर्य नमस्कार करते समय इन सामान्य त्रुटियों से बचें|
- इस योग को पूरी तरह सिखने के बाद ही करे| हो सके तो “Surya Namaskar Step By Step vedio tutorial” ज़रूर देखे या किसी योगगुरु से सीख लें
- मासिक धर्म के समय महिलाओं को इस योग को नहीं करना चाहिए| साथ ही गर्भावस्था के 4 महीने बाद इसे नहीं करना चाहिए|
- इसे गठिया (arthritis) से पीड़ित व्यक्ति को नहीं करना चाहिए|
- कई व्यक्ति सूर्य नमस्कार करने के तुरंत बाद स्नान कर लेते है| ऐसा करना उचित नहीं होता है| यदि आप यह योग कर रहे है तो कम से कम 15 मिनट बाद ही स्नान करे|
- गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति या रीढ़ की हड्डी की बिमारी से ग्रसित व्यक्ति को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए
- साँस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया के क्रम पर ध्यान दे| यह सुनिश्चित करे की कौन से अवस्था ने साँस लेनी है और किस अवस्था में साँस को बाहर छोड़ना है| यदि आप साँस की क्रिया पर ध्यान देते है तो आप अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकेगे|
- इस योग को करते समय किसी भी चरण को ना छोड़े (Skipping the position) किसी भी एक चरण को छोड़ देने से श्वास और आपके गति का चक्र टूट जाएगा| और आपको उसका पूरा लाभ नहीं मिल पायेगा|
- सूर्य नमस्कार के पहले सेट को धीरे धीरे करे|
सूर्य नमस्कार मंत्र हिंदी में (Surya Namaskar mantra in hindi)
प्राचीन काल से हमारी संस्कृति के अनुसार मंत्रो का अलग ही महत्त्व रहा है| हमारे प्राचीन वेद और पांडुलिपियों के अनुसार मंत्र हमारे मन और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालते है| उसी प्रकार सूर्य को नमन करने के लिए भी कुछ मंत्रो को रचित किया गया है|
चूकी सूर्य नमस्कार में 12 योगासन का अभ्यास किया जाता है| और प्रत्येक योगासन के लिए अलग अलग मंत्रो का जाप किया जाता है| इसलिए निचे “Surya Namaskar mantra in hindi” को शामिल किया गया है| यदि आप निरंतर इन Surya Namaskar mantra का अभ्यास करते है तो आप कुछ ही दिनों में इसे याद कर लेगे| आइये जानते है इन मंत्रो के बारे में :
शुरुआत में इस मंत्र का जाप करे
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥
(अर्थात:- सौर-मण्डल के मध्य में, कमल के आसन पर विराजमान (सूर्य) नारायण जो बाजूबंद, मकर की आकृति के कुण्डल, मुकुट, शंख, चक्र धारण किये हुए तथा स्वर्ण आभायुक्त शरीर वाले हैं, का सदैव ध्यान करते हैं।)
प्रणामासन मंत्र – ॐ मित्राय नमः (अनन्तचक्र के लिए )
हस्तोत्थानासन मंत्र – ॐ रवये नमः (विशुद्धिचक्र के लिए )
हस्तपादासन मंत्र – ॐ सूर्याय नमः (स्वाधिष्ठानचक्र के लिए )
एकपादप्रसारणासन मंत्र – ॐ भानवे नमः (आज्ञाचक्र के लिए )
दण्डासन मंत्र – ॐ खगाय नमः (विशुद्धिचक्र के लिए )
अष्टांगनमस्कारासन मंत्र – ॐ पूष्णे नमः (मणिपुरचक्र के लिए )
भुजंगासन मंत्र – ॐ हिरण्यगर्भाय नमः (स्वाधिष्ठानचक्र के लिए )
अधोमुखश्वानासन मंत्र – ॐ मरीचये नमः (विशुद्धिचक्र के लिए )
अश्वसंचालनासन मंत्र – ॐ आदित्याय नमः (आज्ञाचक्र के लिए )
उत्थानासन मंत्र – ॐ सवित्रे नमः (स्वाधिष्ठानचक्र के लिए )
हस्तोत्थानासन मंत्र – ॐ अर्काय नमः (विशुद्धिचक्र के लिए )
प्रणामासन मंत्र – ॐ भास्कराय नमः (अनन्तचक्र के लिए )
अंत में इस मंत्र का जाप करे
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥
अर्थात जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है।
सूर्य नमस्कार के लाभ और फ़ायदे क्या है (Surya Namaskar ke fayde)
surya namskar का उल्लेख हमारे हिन्दू धर्म के पांडुलिपियों और वेदों में की गई है| और “Surya Namaskar ke fayde” की अनुभूति इसी बात से लगाईं जा सकती है| की ऋषि मुनि Surya Namaskar के योगाभ्यास को करके कई वर्ष अपने आप को स्वस्थ्य और दीर्घायु रखते थे| और इस बात का प्रमाण हमें इस सूर्य नमस्कार मंत्र: से मिलता है
आदित्यस्य नमस्कारन् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलम् वीर्यम् तेजस्तेशान् च जायते॥
अर्थात, जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार योगाभ्यास को करते है, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो यदि किसी व्यक्ति में आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज हो तो वह अपने जीवन में बड़े से बड़े लक्ष्यो की प्राप्ति कर सकता है|
अब यदि शारीरिक रूप से इसके लाभो को देखे तो इसके और भी कई लाभ है| जैसे
- उर्जा का संचार
इसके निरंतर अभ्यास से हमारे शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता है और हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है| और पुरे दिन हमारा शारीर और मन सक्रीय रहता है|
- हाई ब्लड प्रेशर और दिल संबंधित समस्याएं दूर करता
इस योगाभ्यास को निरंतर करने से रक्त प्रवाह की प्रक्रिया तेज होती है रक्त प्रवाह में ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में पहुचती है, इसके कारण हाई ब्लड प्रेशर और दिल की समस्या जैसे- Heart Blockage इत्यादि में लाभ मिलता है|
- मजबूत मांसपेशियां और हड्डियां
योगाभ्यास के दौरान मांसपेशियां और हड्डियो में खिचाव आता है इसके कारण मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती है|
- शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है
surya namskar हमारे शरीर से अनावश्यक तत्वों को पसीने के माध्यम से बहार निकल देता है| साथ ही पानी की मात्रा को भी संतुलित करता है|
- स्मरण-शक्ति बढती है
यदि आप ध्यान दे तो इस योग में साँसो के क्रम पर ध्यान देने की बात की गई है| साँसो के क्रम को निरंतर करने से हमारे मस्तिष्क के neuron को ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और इससे हमारी स्मरण-शक्ति बढती है| इसलिए ये योग बच्चो के लिए काफ़ी लाभदायक होता है|
- भूख न लगने और कब्ज़ से छुटकारा
इस योगाभ्यास के दौरान सबसे अधिक स्ट्रेचिंग हमारे पेट के हिस्से पर होता है| इसके जिसके फलस्वरूप भूख न लगने की समस्या और कब्ज़ से छुटकारा मिलाता है|
- विटामिन डी (vitamin D) का मुख्य स्रोत
हम सभी जानते है की सूर्य विटामिन डी (vitamin D) का मुख्य स्रोत है| और जब हम इस आसन को सूर्य की किरण की उपस्थिति में करते है तो हमें सूर्य से भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिलाता है जो हमारे चेहरे और पुरे शरीर की त्वचा के लिए लाभदायक होता है| निरंतर इस योगासन को करने से हमारी त्वचा हमेशा निरोगी, चमकदार, निखरी और बेदाग रहती है|
- हार्मोन उत्सर्जन की क्रिया संतुलित करता है
यह योग हमारे Nervous system को बेहद मज़बूत बनाता है| सूर्य नमस्कार से एंडोक्राइन ग्लैंड्स (Endocrine glands) और थॉयरायड ग्लैंड (Thyroid gland) के हार्मोन उत्सर्जन की क्रिया संतुलित रहती है|
- अनिद्रा की समस्या से छुटकारा
अनिद्रा से ग्रसित व्यक्ति के लिए सूर्य नमस्कार रामबाण की तरह काम करता है| यह हमारे दिमाग सकारात्मक सोच उत्पन्न करता है और नींद को प्रेरित करता है|
सूर्य नमस्कार के साइड इफेक्ट्स क्या है (What are the side effects of Surya Namaskar)
सूर्य नमस्कार का उच्चारण जितना आसान है| इसका योगाभ्यास उतना ही मुश्किल है| चूकी यह योग आपके शरीर के लगभग प्रत्येक हिस्से को उपयोग में लाता है| इसलिए इस योगाभ्यास के शुरूआती समय में सूर्य नमस्कार के दुष्प्रभाव देखे जा सकते है जैसे- मांसपेशियों में खिंचाव, गर्दन में दर्द, श्वास नियंत्रण की कमी , एड़ी में मोच, शरीर दर्द इत्यादि| हलाकि ये सभी साइड इफेक्ट्स कुछ समय के लिए ही हो सकते है| यदि गंभीर स्थिति होने पर इस योगाभ्यास को ना करे
अब आप “Surya Namaskar Benefits And precautions In Hindi” और surya namskar mantra” के बारे में भली-भाती जान चुके है| परन्तु अभी भी कई readers के मन में कुछ surya namsaar FAQ से सम्बन्धित सवाल होंगे| तो आइये इसे जानते है|
FAQ related to surya namsaar in Hindi
- एक व्यक्ति को कितनी बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए?
शुरुआत में आप इसे दो से चार राउंड कर सकते है| परन्तु कम से कम 12 राउंड योगाभ्यास उचित माना जाता है|
- क्या हम सूर्य नमस्कार से पहले पानी पी सकते हैं?
आपको प्यास लगती है तो आप योगा क्लास शुरू करने से आधे घंटे पहले एक गिलास पानी पी सकते हैं।
- सूर्य नमस्कार करने का सही समय क्या है|
सुबह खाली पेट सबसे अच्छा अभ्यास किया जाता है
- क्या सूर्य नमस्कार टहलने से बेहतर विकल्प है?
चलना या जॉगिंग करना केवल शारीर के निचले हिस्से को ही active करता है परन्तु सूर्य नमस्कार शरीर के सभी प्रमुख जोड़ों और शरीर को active करता है| साथ ही यह फेफड़ों, दिल, पेट और हमारे शारीर के मांशपेशियो को मजबूत बनाता है| तो ऐसा कहा जा सकता है की सूर्य नमस्कार एक अच्छा विकल्प है|
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क्या सूर्य नमस्कार करने से सच में वजन कम होता है?
सूर्य नमस्कार करने से मध्यम वजन (80-90 किलोग्राम) वाले व्यक्ति का लगभग 13.90 Calories Burn होता है| इसी तरह इसके 108 राउंड करने से लगभग 1500 Calories Burn होता है| और यदि आप 7700 कैलोरी burn करते हैं तो आप 1 किलो वजन कम कर लेंते है|
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सूर्य नमस्कार से पहले कैसा सूक्ष्म व्ययाम (वार्मअप) करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार से पहले हमें सूक्ष्म व्ययाम करना चाहिए जैसे:- अपने सिर को चारो तरफ घूमना, कंधे को चारो तरफ घूमना, कूल्हे को चारो तरफ घूमना, घुटने को चारो तरफ घूमना, अपनी दोनों हाथो को फैलाकर दाये से बाये और बाये से दाये घुमाए|
- क्या शाम के समय सूर्यनमस्कार करना उचित है?
हाँ। आप सूर्यास्त के समय सूर्य नमस्कार कर सकते हैं। और यदि आपको चाँद नजर आये तो आप चन्द्र नमस्कार भी कर सकते है|
Surya Namskar ke fayde, pose, mantra hindi me आपने क्या सिखा?
इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद, हमें उम्मीद है, की आपको जानकारी से भरा यह लेख ( surya namskar – Steps, poses, mantra and Benefit” आपको जरूर पसंद आया होगा|
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