आपने Transistor radio का नाम जरूर सुना होगा, इस रेडियो को बनाने में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था इसलिए इसे ट्रांजिस्टर रेडियो कहा जाता था, लेकिन यह अपने आप में एक सवाल है कि ट्रांजिस्टर क्या होता है यह कैसे काम करता है इसके कितने प्रकार होते हैं और इसके क्या उपयोग है.
इन सभी अनसुने सवालों के जवाब जानने के लिए आपको यह पोस्ट पढ़ना होगा, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप Transistor से जुड़ी कई सारी बातें जैसे Transistor का आविष्कार किसने किया और क्या अभी के समय में इस Transistor का उपयोग किया जाता है? चलिए इन सब सवालों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ट्रांजिस्टर क्या होता है | What is Transistor explain in hindi
ट्रांजिस्टर दो शब्दों के मिलने से बना है Transfer+ Register यदि हम ट्रांजिस्टर की definition को आसान शब्दों में कहें तो, ट्रांजिस्टर एक प्रकार का एक semiconductor (अर्धचालक) Device है इसका उपयोग स्विच सर्किट (On and Off) और signal को amplify करने के लिए किया जाता है.
दरअसल Transistor silicone और Germanium नाम के अर्थचालक पदार्थ से बना होता है, और इसमें 3 terminal होते हैं. Transistor के अंदर के पुर्जे को सुरक्षित रखने के लिए इसके ऊपर resins नाम का एक पदार्थ लगा होता है, लेकिन अधिक पावर वाले Transistor के ऊपर किसी धातु से बने टुकड़े को लगाया जाता है, ताकि जब Transistor गर्म हो तब यह गर्मी उस धातु के टुकड़े के माध्यम से बाहर निकल जाए. लेकिन कम पावर वाले सर्किट में हम रेजिन से coating किए गए, Transistor का ही उपयोग करते हैं.
यदि आप transistor को ध्यान से देखेंगे तो इसके ऊपर कुछ Text और Number लिखे होते हैं, या हमें ट्रांजिस्टर का Part Number बताता है इसका प्रयोग manufacture का Data Sheet ढूंढने के लिए किया जाता है, उस datasheet से हम किसी भी ट्रांजिस्टर की voltage की क्षमता को चेक कर सकते हैं
ट्रांजिस्टर में कितने टर्मिनल होते हैं? | Transistor Terminal in hindi
सभी ट्रांजिस्टर में 3 Pin होते हैं जिसे हम EBC कहते हैं, ट्रांजिस्टर में EBC का Full Form Emitter Base Collector होता है. यही कारण है कि ट्रांजिस्टर को Three Terminal Device भी कहा जाता है. चलिए Emitter Base Collector को Detail में समझते हैं
- Emitter (उत्सर्जक) :- या Terminal ग्राउंड के साथ जुड़ा होता है, उसे हम Emitter कहते हैं, इससे ट्रांजिस्टर को negative energy मिलती है
- Collector (संग्राहक) :- यह positive होता हैं, क्योंकि यह Device मे लगे smps या transformer से Positive Power लेता है.
- Base (आधार) :- Transistor को activate करता हैं
ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया | Transistor ka avishkar kisne kiya
electronic field से जुड़े लोगों के लिए Transistor जैसे एक वरदान था, अगर आज Transistor का आविष्कार नहीं हुआ होता तो, आज हमारे Daily Life में उपयोग होने वाले कई सारे जरूरी electronic device का उपयोग नहीं कर पाते. लेकिन अब सवाल यह आता है कि उस महान वैज्ञानिक का क्या नाम था जिसने Transistor का आविष्कार किया और Electronic के क्षेत्र में क्रांति ला दी.
दुनिया का सबसे पहला point-contact transistor का आविष्कार अमेरिका के 3 वैज्ञानिकों के द्वारा 1947-48 के दौरान Bell Laboratories मे किया गया था, ट्रांजिस्टर का आविष्कार जॉन बारडीन, विलयम शौकले तथा वाल्टर ब्राटेन ने किया और उनके इस आविष्कार के लिए इन तीनों वैज्ञानिकों को 1956 में Nobel Prize दिया गया.
ट्रांजिस्टर के अविष्कारक में सबसे बड़ा योगदान William Shockley ने दीया, इसके अलावा जॉन बर्दीन (John Bardeen) और वॉटर ब्रट्टैन (Walter Brattain) नाम के दो और वैज्ञानिकों ने भी ट्रांजिस्टर का आविष्कार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
दरअसल, Transistor का आविष्कार होने के बाद कंप्यूटर का पूरा इतिहास बदल गया, क्योंकि इससे पहले कंप्यूटर में vacuum tube का इस्तेमाल किया जाता था जो लगभग Transistor की तरह ही काम करता था, लेकिन vacuum tube का Size इतना बड़ा होता था, कि इससे मिलाकर बनाया गया दुनिया का सबसे पहला कंप्यूटर का साइज लगभग एक बड़े कमरे के बराबर था.
इसके साथ ही साथ vacuum tube बहुत जल्दी खराब हो जाने के कारण कंप्यूटर का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था, लेकिन जैसे ही transistor का Invention हुआ, वैसे ही दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा, जो लंबे समय तक कंप्यूटर को चलाने में सहायक था साथ ही साथ Computer का Size भी छोटा होने लगा.
ट्रांजिस्टर का उपयोग क्यों किया जाता है | Use of transistor in hindi
हमारे आस पास जितने भी electronic device और product है उन सब में ट्रांजिस्टर नाम के छोटे से Device का उपयोग किया जाता है, ट्रांजिस्टर का उपयोग बड़े-बड़े aeroplane, aircraft, spacecraft से लेकर radio washing machine computer तक में किया जाता है, अगर आसान भाषा में कहा जाए तो Use of transistor के कई उपयोग है
- weak signal को मजबूत बनाने के लिए
- D.C को A.C में बदलने के लिए
- voltage को regulate करने के लिए
- switching को आसान बनाने के लिए
- radio signal को audio signal में बदलने के लिए
- audio signal को radio signal में बदलने के लिए
- signal को modulate और demodulate करने के लिए
लेकिन इन सभी Electronic Device में ट्रांजिस्टर का उपयोग 2 कामों को करने के लिए किया जाता है
- Switch करने के लिए ट्रांजिस्टर का उपयोग
हम यह जानते हैं कि यदि किसी battery cell के साथ किसी बल्ब को जोड़ें तो, bulb जलने लगेगा यह काफी सीधा और Simple concept है. लेकिन यदि बल्ब को On या Off करना हो तो हम इसके लिए एक Switch लगा सकते हैं. जिसका उपयोग करके हम bulb को On या Off कर सकते हैं.
लेकिन हमें बल्ब में एक ऐसा Switch लगाना पड़े जिसकी मदद से बल्ब अपने आप on और अपने आप Off हो जाए, तो इसके लिए हमें transistor का प्रयोग करना होगा, Transistor को चालू रखने के लिए इसमें कम से कम 0.6v से लेकर0.7v तक की इलेक्ट्रिसिटी देनी होती है. और इस प्रकार हम transistor का उपयोग एक Switch की तरह कर सकते हैं
- Amplifier के लिए ट्रांजिस्टर का उपयोग
ट्रांजिस्टर का उपयोग amplifier के रूप में भी किया जाता है amplifier का मतलब किसी भी चीज के voltage या value को boost करना या बढ़ाना होता है. सिग्नल को amplify या स्विच करने का सबसे अच्छा उदाहरण देखे तो, यह हमें माइक और loudspeaker में देखने को मिलता है जब धीरे से बोलते हैं तो loudspeaker में लगे ट्रांजिस्टर sound signal को amplify करके उसे कई गुना बढ़ा देता है.
इसके अलावा हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले कई सारे ऐसे Electronic Device है जिसमें Transistor का उपयोग किया जाता है जैसे- हमारे मोबाइल के चार्जर में भी Transistor का उपयोग किया जाता है Transistor के कारण ही हम अपने चार्जर को सीधे 220 वोल्ट के Current से जोड़कर हम अपना मोबाइल चार्ज करते हैं, लेकिन इसमें लगा Transistor 220 बोर्ड को कम करके हमारे मोबाइल की जरूरत के अनुसार पावर सप्लाई देता है. इस Function को Regulated Power Supply कहा जाता है.
इसके अलावा आजकल के बनाने वाले रोबोट के अंदर भी कई प्रकार के ट्रांजिस्टर लगाए जाते हैं जिससे उन्हें किसी खास तरह के फंक्शन के लिए काम कराया जा सके, इसके अलावा ट्रांजिस्टर का उपयोग Robotic Machine, LED Bulb, Computer Motherboard, Electric Bike, Electric Bicycle में भी इसका उपयोग किया जाता है.
इसे ट्रांजिस्टर का उपयोग करके IC मतलब integrated circuit भी बनाया जाता है, और तो और medical field में उपयोग होने वाले ECG, xray, ultrasound की मशीनें भी ट्रांजिस्टर के उपयोग से ही बनाई जाती है.
ट्रांजिस्टर इतना महत्वपूर्ण आविष्कार है कि इसका उपयोग टेक्नोलॉजी और विज्ञान के क्षेत्र में कई सारे डिफेंस सिस्टम को बनाने के लिए किया जाता है, ट्रांजिस्टर के ही उपयोग से Radio, FM, Radar, Sonar, Missile, Aircraft बनाया जाना संभव हुआ है.
दरअसल Radio, FM, Radar, Sonar यह सभी modulation and demodulation के सिद्धांत पर कार्य करते हैं, यदि ट्रांजिस्टर का आविष्कार ना हुआ होता तो, आज हमारे पास Radio, FM, Radar, Sonar जैसी कोई भी चीज नहीं होती.
ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं
वैसे तो ट्रांजिस्टर के इतने सारे प्रकार हैं, कि ऐसे कई सारे भागों में बांटा गया है, लेकिन ट्रांजिस्टर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं पहला BJT और दूसरा FET
1. BJT Transistor: bjt transistor का फुल फॉर्म Bipolar Junction Transistor होता है, यह दो प्रकार के होते हैं,
- NPN का पूरा नाम Negative Positive Negative Transistor होता है
- PNP जिसका पूरा नाम Positive Negative Positive Transistor होता है.
2.
- Junction FET: इस ट्रांजिस्टर के प्रकार को JFET भी कहा जाता है
- MOSFET : इस ट्रांजिस्टर को Metal Oxide Semiconductor Fet के नाम से जाना जाता है
एनपीएन ट्रांजिस्टर क्या होता है| N-P-N Transistor kya hota hai
इसमें N type (Negetive-Type) के दो अर्द्धाचालक पदार्थ के बिच में P-Type (Positive-Type) के अर्द्धाचालक पदार्थ को रखा जाता है, इसे ही NPN Transistor कहा जाता है. N-P-N Transistor को एमिटर से Collector तक इलेक्ट्रॉनों को पास करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इस Transistor का उपयोग कमजोर सिग्नल को Amplify करने के लिए किया जाता है.
N-P-N Transistor का क्या उपयोग है
कमजोर सिग्नल को एमिटर से Transistor को दिया जाता है तथा Amplified signal को Collector से प्राप्त किया जाता है। इस Transistor में प्रवाहित होने वाली current, इलेक्ट्रान प्रवाही की वजह से होती है। अर्थात NPN Transistor में Majority आवेश वाहक इलेक्ट्रान होते है। इस Transistor में इलेक्ट्रान प्रवाह की दिशा एमिटर से Collector के तरफ होता है
मतलब इस एनपीएन ट्रांजिस्टर का प्रयोग करके किसी भी प्रकार के सिग्नल को बढ़ाया जा सकता है, इस प्रकार के ट्रांजिस्टर का उपयोग डीजे, होम थिएटर, लाउडस्पीकर इत्यादि उपकरणों मे किया जाता है
NPN Transistor Symbol कैसा होता है?
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में किसी Circuit board या diagram में N-P-N Transistor को दिखाने के लिए एक विशेष प्रकार के Symbol का उपयोग किया जाता है, जिसे NPN Transistor का Symbol कहते हैं, इस Symbol मे मुख्य आवेश वाहक एमिटर टर्मिनल से एक तीर द्वारा निकलते हुए दिखाया जाता है.
पीएनपी ट्रांजिस्टर क्या होता है | p-n-p transistor kya hai
p-n-p Transistor का ही एक प्रकार है, जिसे Positive Negative Positive Transistor कहा जाता है, इसमें दो P-टाइप अर्द्धचालक के बीच में एक N-टाइप अर्द्धचालक को रखा जाता है, इस Transistor का उपयोग Current को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है क्योंकि एमिटर तथा Collector के बीच प्रवाहित होने वाली current को ,बेस टर्मिनल से प्रवाहित होने वाली current द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.
P-N-P ट्रांजिस्टर का Symbol कैसा होता है?
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग मैं Study को आसान बनाने और समझने के लिए P-N-P के लिए एक Symbol बनाया गया है जिसके द्वारा किसी Circuit board या diagram में P-N-P को आसानी से समझा जा सके. PNP Transistor के Symbol को आप नीचे दिए गए Image मैं देख सकते हैं. इसमें दिखाया गया तीर का चिन्ह ,Transistor से प्रवाहित होने वाली मुख्य current की दिशा को इंगित करता है। इसमें current एमिटर से Collector के तरफ प्रवाहित होती है
NPN और PNP Transistor के बीच क्या अंतर है?
NPN और PNP Transistor के बनावट, कार्य और उपयोग के आधार पर इसमें कई अंतर देखने को मिलते हैं,
- NPN Transistor में बेस को पॉजिटिव सप्लाई दिए जाने पर Collector से एमिटर के बीच Current फ्लो होता है, जबकि PNP Transistor में नेगेटिव सप्लाई होने पर चार्ज कैरियर एमिटर से Collector तक प्रवाहित होता है।
- ज्यादातर एनपीएन Transistor का Use सर्किट को पूरा करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें कंडक्शन Current इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है. जबकि पीएनपी Transistor में कंडक्शन Current होल्स के कारण होता है,
- NPN में उच्च कंडक्शन होता है, क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन अधिक मात्रा में Flow होता है लेकिन, PNP Transistor में Low Conduction होता है.
- NPN और PNP Transistor, manufacturing, material के आधार पर अलग-अलग होते हैं, इसलिए इसमें Flow होने वाला Current में अलग अलग होता है.
NPN और PNP Transistor me kya antar hota hai, इसके बारे में नीचे दिए गए टेबल मे NPN और PNP के बीच अंतर को आसानी से समझा जा सकता है
आधार | NPN ट्रांजिस्टर | PNP ट्रांजिस्टर |
---|---|---|
Definition | NPN ट्रांजिस्टर में दो N-Type, और एक P-Type layer होती है, | PNP ट्रांजिस्टर में दो P-Type और एक N-Type layer होती है. |
Symbol | ||
Full Form | Negative Positive and Negative | Positive Negative and Positive |
Direction of Current | Collector to Emitter | Emitter to Collector |
Turn-on | Base पर Positive Supply | Base पर Negative Supply |
Majority Charge Carrier | Electron | Hole |
Switching Time | Faster | Slower |
Minority Charge Carrier | Hole | Electron |
Positive Voltage | Collector Terminal | Emitter Terminal |
Forward Biased | Emitter Base Junction | Emitter Base Junction |
Reverse Biased | Collector Base Junction | Collector Base Junction |
Small current | Emitter से base की ओर Flow होता है | Base से emitter की ओर Flow होता है |
Ground Signal | Low होता है | High होता है |
PNP और NPN Transistor कहाँ उपयोग किए जाते हैं?
bipolar ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं जिसमें PNP और NPN होता है, ट्रांजिस्टर का उपयोग मुख्य रूप से Electronic Device में switching और सिगनल amplification के लिए किया जाता है. लेकिन सर्किट बनाने में PNP Transistor की तुलना में NPN Transistor का उपयोग अधिक किया जाता है.
एनपीएन ट्रांजिस्टर का उपयोग क्यों किया जाता है
एनपीएन ट्रांजिस्टर का उपयोग मुख्य रूप से switching applications, Amplifying circuit applications, amplify weak signals और जहां current को sink करने की आवश्यकता होती है वहां एनपीएन ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है.
पीएनपी ट्रांजिस्टर का उपयोग क्यों किया जाता है
पीएनपी ट्रांजिस्टर का उपयोग मुख्य रूप से switch के लिए किया जाता है, इसके अलावा इसका उपयोग Class-B amplifiers Type के amplifier circuits को डिजाइन करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा general motor control, oscillators and modulators मे एक amplifiers के रूप में, Darlington pair circuits के लिए और wireless systems जैसे Radio-frequency circuits को बनाने के लिए किया जाता है
ट्रांजिस्टर की पहचान कैसे किया जाता है
ट्रांजिस्टर और ट्रांजिस्टर के प्रकार को उसके Symbol से पहचाना जा सकता है, क्योंकि, P-N-P तथा N-P-N ट्रांसिस्टर का Symbol अलग अलग होता है. पीएनपी ट्रांजिस्टर के Symbol में तीर का निशान Base की तरफ होता है, और NPN Transistor के Symbol में तीर का निशान Base से बाहर की ओर होता है.
इसके अलावा ट्रांजिस्टर की पहचान करने के लिए, इसके ऊपर कुछ नंबर लिखे होते हैं, इस लिखे हुए नंबर का पहला अक्षर हमें यह बताता है कि यह ट्रांजिस्टर जर्मेनियम का बना है या सिलिकॉन का, दूसरा नंबर ट्रांजिस्टर की ऑपरेटिंग फ्रीक्वेंसी रेंज और उसके कार्यक्षेत्र को बताता है. आप ट्रांजिस्टर पर लिखे गए नंबर से मैन्युफैक्चर का डाटाशीट से किसी भी ट्रांजिस्टर की पहचान कर सकते है, साथ ही उसके वोल्टेज की क्षमता को भी चेक कर सकते हैं
स्विचिंग के लिए सबसे अच्छा ट्रांजिस्टर कौन सा होता है
यदि हम चाहे तो पीएनपी और एनपीएन दोनों प्रकार के ट्रांजिस्टर का उपयोग स्विच के रूप में कर सकते हैं. दरअसल, बिजली के नुकसान को कम करने के लिए high switching speed का उपयोग किया जाता है. MOSFET सबसे तेज स्विचिंग डिवाइस होता है. लेकिन एक basic terminal transistor को एनपीएन और पीएनपी bipolar transistor दोनों को on या off करके static switch की मदद से बायस करके signal amplifier को अलग अलग तरीको से Operate किया जा सकता है.
ट्रांजिस्टर कौन सी धातु से बनी होती है?
ट्रांजिस्टर एक प्रकार का सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) डिवाइस होता है, जिसमे कुछ ट्रांजिस्टर सिलिकॉन से बने होते हैं, और कुछ ट्रांजिस्टर जर्मेनियम धातु के बने होते है. ट्रांजिस्टर किस धातु का बना है, इसका पता आप उस पर लिखे गए नंबर से लगा सकते है.
ट्रांजिस्टर और स्विच में क्या अंतर है
ट्रांजिस्टर collector और emitter के बीच धारा को प्रवाहित कराने के लिए उपयोग में लिया जाता है. लेकिन स्विच का उपयोग Current को कार्यानुसार या जरूरत के अनुसार On/OFF करने के लिए किया जाता है.
यदि आपने ट्रांजिस्टर क्या है ? प्रकार , उपयोग, काम कैसे करता है ? से जुड़े इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ा होगा तो, आप ट्रांजिस्टर के प्रकार उपयोग फायदे और नुकसान के बारे में अच्छी तरह से समझ चुके होंगे, यदि आपको यह पोस्ट पसंद है या कुछ सीखने को मिला तो, आप इसे जरूर शेयर करें.