GST क्या है, इसके प्रकार और फायदे | GST full form in Hindi

GST in Hindi :Tax, अंग्रेजों के समय से चली आ रही एक व्यवस्था प्रणाली है, इतिहास के पिछले समय में ब्रिटिश सरकार भारतीय किसानों मजदूरों से कई रूप में Tax वसूली करते थे, कुछ समय बाद भारत आजाद हुआ, आजाद होते ही अंग्रेजों का शासन खत्म हो गया लेकिन उनके द्वारा बनाई गई Tax वसूलने की प्रणाली भारत में आज भी चली आ रही है. Tax की वसूली सरकार और देश के लिए काफी महत्वपूर्ण महत्व रखती है.

भले ही आज के समय में Tax की प्रणाली और Tax कलेक्ट करने की पद्धति बदल गई हो लेकिन आज भैया वर्तमान समय में भी Tax नियमों में कई प्रकार के सुधार और संशोधन करके इसे चलाया जा रहा है,

चलिए Tax का मतलब समझते हैं, जब भी हम भारत में निर्मित देश में किसी वस्तु सेवा का उपयोग करते हैं तो हमें उसके बदले सरकार को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप में Tax देना पड़ता है,

हालांकि Tax कई प्रकार के हो सकते हैं ,और GST भी एक प्रकार की Tax है, भारत के केंद्रीय सरकार में Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax जैसे कई अलग-अलग Tax को हटाकर GST Tax (GST Tax In hindi) को भारत में क्रियान्वित किया है.

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GST का फुल फॉर्म क्या होता है | GST Full Form in hindi

GST का फुल फॉर्म “Goods And Services Tax” होता है, GST को हिंदी में “माल एवं सेवा कर” के नाम से जाना जाता है, यह केंद्रीय सरकार द्वारा Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax जैसे-जैसे 17 प्रकार के इनडायरेक्ट Tax के बदले लगाए जाने वाला GST Tax है.

विश्व में GST लागू करने वाला सबसे पहला देश फ्रांस था, जिसने, Tax की चोरी को रोकने के लिए 1954 में GST को लागू किया, और इस तरह फ्रांस GST लागू करने वाला विश्व का पहला देश बना. भारत कनाडा देश की gst tax model की रूपरेखा पर काम करता है.

लेकिन भारत में 1 जुलाई 2017 को पहली बार केलकर समिति की सिफारिश पर GST लागू किया गया, भारत में GST विधेयक बिल को सबसे पहले 12 अगस्त 2016 में असम राज्य में पारित किया गया था. और भारत में GST बिल को पारित करने वाला सबसे अंतिम राज्य जम्मू कश्मीर था.

और इस प्रकार 01 जुलाई 2017 को संसद में वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम पारित होने के बाद पूरे भारत में GST लागू हुआ। भारत में GST को पास कराने वाला 122वा विधेयक बिल था. और इस GST बिल को 101वा संविधान संशोधन के द्वारा पास किया गया.

GST क्या होता है | GST kya hota hai hindi me

GST “एक देश एक Tax” के रूप में जाना जाता है, Tax, किसी भी देश की सरकार का अपने देश की जनता से आधिकारिक तौर पर लिया जाता है. क्योंकि सरकार के पास आमदनी का सबसे मुख्य स्रोत Tax ही होता है. अब किसी भी देश की जनता से दो प्रकार से Tax लिया जाता है. पहला Direct Tax और दूसरा Indirect Tax.

Direct Tax को सीधे कर के रूप में किसी व्यक्ति या किसी कंपनी से सीधे तौर पर ले लिया जाता है, लेकिन indirect tax किसी चीज की खरीद बिक्री पर लगता है. और मुख्य रूप से सरकार इन्हीं दो तरीकों से Tax का collection करती है. सरकार को डायरेक्ट Tax वसूलने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था.

लेकिन इनडायरेक्ट Tax कई प्रकार के होते थे जैसे- Custom Duty Tax, Excise Duty Tax, Service Tax, Sales Tax, VAT और इसी तरह 17 प्रकार के Tax थे, जो इनडायरेक्ट Tax में शामिल थे, इसे कलेक्ट करने और इसके लेखा-जोखा करने में सरकार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था,

लेकिन GST बिल को पारित करके इन सभी इनडायरेक्ट Tax को GST बना दिया गया. जिसे आज “Goods And Services Tax“ यानी GST के नाम से जाना जाता है.

चुकी, कई सारे इनडायरेक्ट Tax को मिलाकर GST बनाया गया. इसलिए GST भी एक प्रकार का इनडायरेक्ट Tax ही है. GST बिल को पारित करते समय डायरेक्ट Tax से कोई भी छेड़-छाड़ नहीं किया गया है. आज भी भारतीय नागरिक को GST Tax जैसे Income Tax, Corporation Tax, Property Tax, Gift Tax, Health Tax इत्यादि देना पड़ता है. इसलिए gst tax, direct tax से अलग है.

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GST Tax किसके ऊपर लगता है

अब आप सोच रहे होंगे, कि वह कौन से व्यक्ति कंपनियां लोग हैं जिसे GST Tax देना होगा, यह टेक्स केवल 3 लोगों को ही देना होता है,

  • जिनका साल भर का turnover (लेन देन) ₹2000000 का हो

मान लीजिए कि कोई दुकानदार अमेज़न पर सामान बेचने के लिए 20 लाख रुपए का माल मंगाता है, इस 20 लाख के माल को बेचने के बाद उसे 21 लाख का Profit होता है. अब इस पूरे लेनदेन में आपने 20 लाख का Turnover यानी लेनदेन किया अब अब GST Category में आ चुके हैं और अब आपको GST Tax pay करना होगा. कुछ स्पेशल केस में पहाड़ी एरिया वाले क्षेत्र में इस लेनदेन की सीमा 20 लाख से घटाकर 10 लाख तक की ही है.

  • एक राज्य से दूसरे राज्य में खरीद बिक्री करने पर

अगर आप एक राज्य से दूसरे राज्य में किसी भी समान वस्तु या सेवा का लेनदेन कर रहे हैं तो आप GST Tax भुगतान के कैटेगरी में आ जाते हैं और आपको सरकार को GST Tax देना होता है. किस कैटेगरी के अंदर आप यदि एक राज्य से दूसरे राज्य में ₹1 का भी व्यापार है लेन-देन करते हैं तो आपको यह Tax देना होता है.

  • Online इकॉमर्स बिजनेस के करीब बिक्री पर GST Tax

यदि आप ऐमेज़ॉन फ्लिपकार्ट मिंत्रा या किसी भी Online बिजनेस में Online खरीद बिक्री करते हैं तो उस पर GST Tax लागू होता है. इसलिए ₹50 के भी Online पिज़्ज़ा ऑर्डर करने से लेकर Online शॉपिंग पर GST Tax जोड़ लिया जाता है. और इस प्रकार इनडायरेक्ट रूप से यह GST Tax सरकार को चला जाता है

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GST Tax कितने प्रकार के होते हैं,

GST Tax चार प्रकार के होते हैं, इन चारों GST के अपने अलग-अलग नियम और Tax भुगतान के अलग-अलग नियम है चलिए GST Tax के प्रकार और नियमों को जानते हैं,

  • Central Goods and Service Tax (CGST)

CGST Tax हर हाल में सेंट्रल गवर्नमेंट को देना होता है, यदि कोई व्यापारी अपने ही राज्य क्षेत्र में किसी अन्य व्यापारी से लेन देन कर रहा है, तब भी सीGST Tax केंद्र सरकार को चुकाना होता है.

  • State Goods and Service Tax (SGST)

SGST Tax state government को जाती है. अब यदि मानने की कोई एक बिजनेसमैन अपने ही राज्य के अंदर किसी कारोबार में लेन-देन करता है तो अनिवार्य रूप से उसे CGST और GST Tax देना पड़ेगा.

  • Union Territory Goods and Service Tax (UTGST/UGST)

UTGST/UGST Tax केवल केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली, पुडुचेरी, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, अंडमान निकोबार दीप समूह) और राज्यों के अंदर होने वाले व्यापारिक लेन-देन के बदले लगाया जाता है.

  • Integrated Goods and Service Tax (IGST)

जब कोई लेन देन किसी दूसरे राज्य में होता है तो उस स्थिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के हिस्से का Tax एक में ही जुड़ जाता है, जिसे IGST (Integrated Goods and Service Tax) के नाम से जाना जाता है. भारत में IGST की चर्चा संविधान के अनुच्छेद 269-A में किया गया है.

IGST = CGST + SGST

मान लिया जाए कि, कोई प्रोडक्ट राजस्थान से बनकर उत्तर प्रदेश में बिकने को आई. अब इस स्थिति में तीन चीजे है, एक राजस्थान सरकार दूसरा उत्तरप्रदेश सरकार, और तीसरा केन्द्रीय सरकार. अब सबसे पहले Integrated Goods and Service Tax (IGST) का पूरा हिस्सा central government के पास चला जाएगा. केंद्र सरकार अपना 50% हिस्सा रखकर, बाकी का 50% उस राज्य को दे देगा, जिसके पास प्रोडक्ट बिकने के लिए गया है

यांनी यहाँ उस 50% हिस्से का हकदार उत्तर प्रदेश राज्य सरकार होगा. यानी दो राज्यों के बीच में होने वाले लेनदेन में IGST में SGST का हिस्सा उस राज्य को जाता है, जहाँ प्रोडक्ट बेचा गया है, इसलिए IGST को Destination GST भी करते हैं.

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GST RETURN क्या होता है

जब हम किसी प्रोडक्ट का लेनदेन करते हैं तो उससे प्राप्त हुआ GST Tax हमारे पास ही होता है. ऐसा नहीं है कि हम हर दिन हुए लेनदेन से प्राप्त GST Tax को हर दिन सरकार को देते रहें. इस परेशानी से बचने के लिए सरकार ने एक नियम बनाया है जिसे GST Return के नाम से जाना जाता है इस Gst Return में महीने भर में प्रोडक्ट के लेनदेन से प्राप्त हुए, Tax सरकार के पास जमा करना होता है.

यदि आसान भाषा में Gst Return का मतलब समझे तो, GST के रूप में जो Tax होता है, वह businessman के पास ही होता है क्योंकि ग्राहक जो प्रोडक्ट या सेवा प्राप्त करता है और उसके बदले जो बिल का भुगतान करता है उसमें एक हिस्सा GST Tax भी होता है. और ऐसे ही केंद्रीय सरकार को रिटर्न करना पड़ता है इसे GST Return कहते हैं. इसे GST-R के नाम से भी जाना जाता है

GST Return महीने में तीन बार किया जा सकता है, इसका मतलब कोई भी व्यापारी अपना GST Return हर 10 दिन के अंतराल पर भर सकता है. GST Return को और भी सुविधाजनक बनाने के लिए गवर्नमेंट के द्वारा कई सारे कई सारे स्टेप्स को बनाए गए हैं जैसे

  • GSTR1 : इसमें किसी भी बिजनेस में हुए लेनदेन को महीने भर की बिक्री का स्टेटमेंट आने वाले अगले महीने की 11 तारीख तक GST Return फाइल करना होता है, लेकिन वैसे व्यापारी जिनकी सालाना बिक्री 1.5 करोड़ रुपए से कम है उन्हें यह रिटर्न हर महीने नहीं भरना होता है, उन्हें हर तिमाही पर यह रिटर्न फाइल करना होता है
  • GSTR2: वर्तमान समय में इस GST टाइप को स्थगित कर दिया गया है, इसके अंतर्गत किसी भी व्यवसाय को उसके द्वारा हर महीने की गई खरीदारी यानी (Inward Supply) का statement देने के लिए इस GST Return का यूज किया जाता था।
  • GSTR3: वर्तमान में इसे स्थगित करके रखा गया है, इस GST Return टाइप में महीने भर में हुए अभी लेनदेन यानी खरीदारी और बिक्री का विवरण के साथ चुकाए गए Tax का स्टेटमेंट देना होता था.
  • GSTR3B: GST लागू होने के क्रम में GSTR3B को लागू नहीं किया गया था, इसके लिए केंद्रीय सरकार एक छोटा सा फॉर्म प्रोवाइड करते थे, जिसमें रिटर्न में महीने में होने वाली खरीद और बिक्री का विवरण और छुपाए बैठे इसकी जानकारी संक्षेप में देना होता था, लेकिन इस प्रक्रिया को अभी बंद कर दिया गया

GST की गणना कैसे की जाती हैं, Inbound और Outbound Gst क्या है?

GST बिल के लागू होते हैं GST से जुड़े कई सारे ऐसे Terminology का इस्तेमाल किया जाने लगा, जो साधारण व्यवसाय करने वाले और आम लोगों को समझ में नहीं आता है.

अब इसमें कई सारे व्यापार करने वाले लोगों को यह समझ में नहीं आता है कि GST की गणना कैसे की जाती है और इससे जुड़े Inbound और Outbound GST क्या होता है. GST की गणना Inbound And Outbound की प्रक्रिया के माध्यम से ही की जाती है.

अब हम Inbound और outbound GST क्या है? इसे एक उदाहरण से समझते हैं. Inbound और outbound GST को समझने के लिए हम Wholesale, Retailer and Customer को लेते हैं.

जब कोई रिटेलर किसी होलसेलर से कोई वस्तु या सेवा किसी कस्टमर को बेचने के लिए खरीदता है, तो उस समय रिटेलर के द्वारा दिया जाने वाला Tax Inbound Tax कहलाता है.

वही जब रिटेलर किसी कस्टमर वही वस्तु या सेवा बेचता है, तो उस पर कस्टमर के द्वारा रिटेलर को दिया जाने वाला Tax outbound GST Tax कहलाता है. लेकिन इस प्रक्रिया में दो बार GST Tax का भुगतान होने के बाद भी केंद्रीय और राज्य सरकार को एक निश्चित Tax ही जाता है.

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GST किस दर से लिया जाता है

GST Tax को सरकार के द्वारा देश के हित के लिए और बहुत ही सोच समझ कर लागू किया गया है. जीवन के लिए उपयोगी और अति महत्वपूर्ण वस्तु और प्रोडक्ट के लिए कम Tax और भोग विलास के चीजों पर थोड़ा ज्यादा और Education और Health जैसी सेवाओं को इस Tax पर बाहर रखा गया है.

GST Tax लगाकर इस Tax प्रणाली को बहुत ही न्याय पूर्ण बनाया गया है. इसके लिए अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग GST दर लगाया जाता है, मतलब हर प्रोडक्ट और हर प्रकार की सेवा पर आपको एक जैसा GST Tax नहीं देना होता है कहीं आप को GST में पूरी तरह छूट मिल जाती है तो कहीं कम GST देना होता है.

GST Council के द्वारा GST Tax की दर को लगाने के लिए कुल पांच Tax slab बनाए गए हैं. GST दर की इन 5 Tax Slab में 500+ सेवाएं और 1300+ प्रोडक्ट को शामिल किया गया है जो कुछ इस प्रकार है.

  • 00% GST RATE : जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर 0% GST लगता है, इसमें दूध, हरी सब्जियां, अनाज, और agriculture product, Bank charges on savings account, Natural honey, Salt को शामिल हैं
  • 05% GST RATE : जीवन के लिए सामान्य आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे मसाले, तेल, ब्रेड, कॉफी, बेबी फूड, न्यूज़ पेपर प्रिंटिंग, टेलरिंग, कोयला, बायोगैस के अलावे hand-made items को भी शामिल किया गया है.
  • 12% GST RATE : रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि Processed food, Dairy products, Dry fruits and nuts, Cooking utensils, Business class flight tickets को शामिल किया गया है
  • 18% GST RATE :  मध्यम स्तर का जीवन जीने वाले लोगों के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं जैसे कि Electrical and electronic appliances, Mineral water, Pasta, Biscuits, Aluminium foil, Optical fibre, Winding wires, Hair oil, Shampoo, Toothpaste, Perfume, Movie tickets, Hotel accommodation, Telecom and IT services जैसी प्रोडक्ट और सेवाओं को शामिल किया गया है.
  • 28% GST RATE : विलासी और हानिकारक श्रेणी में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, तंबाकू और तंबाकू उत्पाद, पान मसाला और गुटखा, ईंधन, रेसिंग क्लब सेवाएं, थीम पार्क, मनोरंजन पार्क और जॉय राइड्स जैसी सेवाओं और वस्तुओं को शामिल किया गया है.

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GSTIN क्या होता है, इसका क्या उपयोग है

GSTIN का फुल फॉर्म “Goods and Services Tax Identification Number” होता है. जब भी हम GST Tax पोर्टल पर GST के लिए registration करते हैं तब हमें एक 15 Digit का Number दिया जाता है. इस 15 Digit के Number में शुरुआत के 2 अंक स्टेट कोड को बताता है, इसके बाद का 10 Digit register User का पैन कार्ड Number होता है. और अंत का 3 Digit GST पोर्टल के द्वारा जनरेट किया यूनिक कोड होता है.

इस GSTIN Number को GSTn (Goods and Services Tax Network) के द्वारा provide किया जाता है. किसी GST पोर्टल पर register करके आप GST Tax भरने के लिए खुद को register करते हैं. यह GSTn Portal आपके द्वारा भुगतान किए गए GST Tax का लेखा जोखा रखता है.

GST से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद या GST के नियमों में परिवर्तन के लिए GST काउंसिल का गठन किया गया है. इस काउंसिल की चर्चा संविधान के अनुच्छेद 279-A में की गई है. इस Goods and Services Tax council में कुल 33 सदस्य हैं. इस काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में वित्त मंत्री होते हैं.

अध्यक्ष के सहायक के रूप में एक राज्य वित्त मंत्री होते हैं, इसके बाद 28 राज्यों के सभी एक-एक वित्त मंत्री भी के सदस्य होते हैं, इसके अलावा वह ऐसे union territory जिसमें विधानसभा का चुनाव होता है, जैसे जम्मू कश्मीर, दिल्ली और पुडुचेरी इन तीनों union territory के वित्त मंत्री भी इस काउंसिल के सदस्य होते हैं.

GST के लिए registration कैसे करें

भारत सरकार के Tax डिपार्टमेंट के द्वारा वस्तु और सेवा कर (GST) को बहुत ही आसान सुरक्षित और परेशानी मुक्त बना दिया गया है, छोटे से छोटे व्यापारी भी आसानी से GST में registration कर सकता है और अपना Gst-in Number ले सकता है. आइए GST registration के Online प्रक्रिया को step by step समझते हैं

  • सबसे पहले GST क्या Online पोर्टल पर लॉगिन करें
  • यहां फॉर्म सेलेक्ट करें, और अब आप अपना Email Id, Phone Number, Pan Card Number डालें
  • अब आपके Email Id या फोन Number पर एक OTP Pin आएगा जिसे आप को Verify करना है
  • OTP Pin Verify करते हैं आपको एक Application Reference Number दिया जाएगा.
  • इस Application Reference Number का उपयोग करके आप GST registration फॉर्म के भाग- बी को भी भरे
  • इसके बाद अपने व्यवसाय के प्रकार के अनुसार आवश्यक दस्तावेज को अपलोड करें.
  • अब आपका GST registration सफलतापूर्वक हो चुका है, अब GST अधिकारी आपके आवेदन की पुष्टि करेगा.
  • लगभग 3 या 4 दिनों के बाद GST अधिकारी या तो आपके एप्लीकेशन को अप्रूव कर देता है, और अब आप अपना GST registration सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं. या फिर आपके व्यवसाय से जुड़े और अधिक विवरण में जानकारी के लिए GST-REG-03 भरने को कहता है
  • GST-REG-03 भरने के 7 दिनों के अंदर GST-REG-04 फॉर्म भी भरना होता है जरूरत पड़ने पर इसके साथ भी कुछ आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करने होते हैं.
  • अब दोबारा इसके बाद GST अधिकारी या तो आपके GST registration को अप्रूव कर देता है या फिर Reject कर देता है
  • यहां GST अधिकारी के द्वारा यदि आपका GST registration खारिज कर दिया जाता है तो GST-REG-05 फॉर्म के जरिए आपको यह बता दिया जाता है कि आपका GST registration क्यों खारिज किया गया है.
  • GST-REG-05 फॉर्म मे दिए गए कारण को समझना होगा और फिर दोबारा GST registration करना होगा.
  • बहुत कम ही मामले में GST registration Reject किया जाता है.

GST के क्या फायदे हैं

सरकार के द्वारा GST को बहुत ही सोच समझ कर देश के अंदर 17 अलग-अलग प्रकार के Tax को मिलाकर एक Tax के रूप में पारित किया गया, इस GST के लागू होने के बाद केंद्र सरकार ग्राहक विक्रेता जैसे सभी लोगों को हर स्तर पर लाभ हुआ है. चलिए विस्तार से GST के फायदे को समझते हैं,

  • GST के लागू होने से पहले सभी राज्यों में VAT मतलब value added tax के साथ और भी कई प्रकार के Tax अलग-अलग लगाया जाता था. जिसके कारण एक ही प्रोडक्ट या सेवाओं का मूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो जाता था. अब जो कपड़े गुजरात में कम दामों में मिलते थे, उसी कपड़े का मूल्य उत्तर प्रदेश में ज्यादा हो जाता था. अब चुकी कपड़े गुजरात में सस्ते होते थे तो फैक्ट्रियां सबसे ज्यादा अपना इन्वेस्टमेंट गुजरात में ही करते थे और बाद में गुजरात से कपड़े बनाकर उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों को ऊंचे दामों में भेजते थे जिससे Tax और वस्तुओं सेवाओं का मूल्य असमान हो जाता था और विकास के स्तर पर भी कुछ राज्यों में ही विकास हो पाता था. लेकिन GST के आने से सभी राज्यों में प्रोडक्ट और सेवाओं के मूल्य पर लगने वाला Tax एक समान हो गया.
  • GST के लागू होने से पहले Tax का भुगतान करने वाले व्यवसाय को हर स्तर पर कई बार Tax देना होता था, जिसके कारण Tax चोरी की समस्या भी आती थी और सरकार को Tax कलेक्ट करने में भी परेशानियों का सामना करना होता था
  • वैसे व्यापारी और करदाता जो छोटे स्तर के हैं उन्हें Tax दर और Tax फाइलिंग में राहत मिली है. इन छोटे छोटे व्यापारियों और करदाताओं को 20-75 लाख Turnover की स्कीम का लाभ लेने पर कम Tax देना होता है
  • राज्य के अंदर दो राज्यों के बीच में और Online e-commerce पर होने वाले लेनदेन में विवाद खत्म हो गए हैं. अब इसमें केवल एक ही Tax माने होता है.
  1. GST का पूरा नाम क्या है

    GST का पूरा नाम “गुड्स एंड सर्विसेज Tax” है। GST भारत में प्रॉडक्ट और सर्विस की सप्लाई पर लगाया जाने वाला एक इनडायरेक्ट Tax है। यह Tax सभी भारतीय राज्यों में एक ही रेट पर लागू होता है। इसका उद्देश्य पिछले इनडायरेक्ट Taxों को एक साथ मिलाकर एक सरल और संगठित Tax प्रणाली बनाना था। GST का लागू होना 1 जुलाई, 2017 से शुरू हुआ था और इससे पहले के Variety of Previous Indirect Tax (VAT), Service Tax, Purchase Tax, Excise Duty और अन्य इनडायरेक्ट Tax को इससे रिप्लेस किया गया था।

  2. GST के दायरे में कौन सी वस्तु नहीं आती है

    GST के अंतर्गत चार Tax Slab बनाए गए हैं. जिनमें अलग-अलग वस्तुओं पर यह निम्नलिखित चार Tax Slab के अंतर्गत Tax लिया जाता है- 5%, 12%, 18% और 28%. लेकिन पेट्रोलियम, बिजली, शराब और रियल एस्टेट को GST के इन Tax Slab से बाहर रखा गया है.

  3. भारत में GST का जनक कौन है?

    आज के समय में दुनिया के कई सारे देशों में GST की Tax प्रणाली को अपनाया गया है दुनिया में पहली बार GST Tax प्रणाली को अपनाने वाला देश फ्रांस था जिसने 1954 में GST को अपनाया और आज के समय में विश्व के करीब 160 देशों में GST लागू है, भारत में GST Tax प्रणाली को लाने वाले व्यक्ति अटल बिहारी वाजपेई थे इसलिए इन्हें भारत में GST का जनक कहा जाता है,

  4. GST कैसे लगता है?

    GST (गुड्स एंड सर्विसेज Tax) एक ऐसा Tax है जो भारत में product और Service की supply पर लागू होता है। यह एक indirect tax है जो 2017 में लागू किया गया था और विभिन्न Ex Indirect taxes जैसे VAT, Service Tax, Purchase Tax, Excise Duty और कई अन्य indirect taxes को बदल देता है। GST का उद्देश्य भारत में tax system को simple, transparent और Sensitive बनाना है। इसके माध्यम से, एक समान tax rates सम्पूर्ण देश में लागू होती है, जिससे traders को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग tax rates का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके साथ ही, GST से अन्य indirect taxes की तुलना में कम Rate of interest के बढ़ते effects के कारण व्यापारियों को अधिक लाभ होता है।

  5. भारत में अधिकतम GST दर क्या है?

    GST को चार Tax Slab में बांटा गया है जिसके अंतर्गत अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग प्रकार के GST लगाए जाते हैं यह Tax Slab है: 5% GST, 12% GST, 18% GST, और 28% GST, इस GST Tax Slab के अनुसार भारत में अधिकतम GST दर 28% है.

GST क्या है पूरी जानकारी हिंदी में

GST लागू होने के पहले सरकार कई रूप में Tax लेती थी, लेकिन भारतीय सरकार के एक कदम में पूरी के पूरी Tax सिस्टम को इससे एक और सरकार को कई फायदे हैं दूसरी तरफ व्यापार में लेनदेन करने वाले व्यापारी और ग्राहक को भी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में समानता देखने को मिलती है अब भारत के सभी राज्यों में लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य लगभग बराबर की है

आपने इस पोस्ट में GST क्या है, GST के कितने प्रकार होते हैं, Online GST registration कैसे करें, इत्यादि के बारे में जाना यदि आप किसी भी तरह के बिजनेस कर रहे हैं तो आपको GST के बारे में सभी बातें पता चल चुकी होगी, यदि आपने इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ा हो तो, GST से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी इस पोस्ट में प्रदान की गई है. इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए आप हमें कमेंट कर सकते हैं. यदि यह पोस्ट हेल्पफुल लगा तो इसे शेयर जरूर करें.

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