“Sonar full form” से जुडी छोटी-बड़ी काफी सारी जानकारियाँ इंटरनेट में देखने और पढ़ने के लिए मिल जाएगी. लेकिन Unhindi के इस post में आपको इस लेख में Sonar full form in Hindi से जुडी, एक अच्छी और विस्तारपूर्वक जानकारी पढ़ने को मिलेगी जैसे- Sonar क्या है, sonar कितने प्रकार के होते है, सोनार का आविष्कार किसने किया (Who invented sonar), sonar के फायदे और नुकसान आदि. तो कृपया इस आर्टिकल के साथ बने रहें.
इस post को पढ़ने के साथ आप कंप्यूटर में रूचि रखते है तो राडार क्या है और यह कैसे काम करता है के पोस्ट को भी ज़रूर पढ़े.
सोनार का फुल फॉर्म | SONAR ka Full Form
SONAR का full form Sound Navigation and Ranging है। हिंदी में SONAR (सोनार) का फुल फॉर्म साउंड नेविगेशन और रेंजिंग होता है। इसका उपयोग महासागरों में खोज और मैपिंग के लिए किया जाता है, इसके अलावे पानी के अन्दर पड़ी जहाजो, डूबी हुई मलवो और वस्तुओ का पता लगाने के लिए किया जाता है.
Sonar क्या होता है – What Is Sonar In Hindi
सोनार विज्ञान की एक अद्भुत खोज से कम नही है.Sonar System एक ऐसी Technology है, जो ध्वनि संचरण (Voice Transmission) के सिद्धांत पर काम करती है. जिसमे Ultrasonic waves की मदद से समुद्र के अन्दर मौजूद चीजों जैसे- डूबे ज़हाज़ के मलवे, और बड़े- बड़े चट्टानों का पता लगाया जाता है.
आसान शब्दों में कहा जाए तो Sound Navigation And Ranging का मतलब Sound की मदद से पानी या समुद्र में डूबी हुई वस्तु को नेविगेट करना और उसकी दुरी यानी Ranging को बताना. सोनार जैसी तकनीक का प्रयोग Navy Seal के जहाजो और पनडूबियो के द्वारा पानी के नीचे के खतरे से बचने या समुद्री सतह (seafloor) पर वस्तुओं को नेविगेट करने के लिए किया जाता है.
SONAR का आविष्कार किसने किया . Invention of SONAR in Hindi
sonar शब्द एक अमेरिकी शब्द से लिया गया है. और इस शब्द का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के समय ध्वनि, नेविगेशन के संक्षित्प रूप में किया जाता था. sonar का आविष्कार (Invention of Sonar) करने का श्रेय रेजिनाल्ड ऑब्रे फेसेन्डेन (Reginald Aubrey Fessenden) को जाता है.
लेकिन History And Invention Of Sonar System से जुडी और भी कई फैक्ट है जैसे:-
- सर्वप्रथम 1822 में डैनियल कोलोडेन (Daniel Colloden) ने स्विट्जरलैंड की एक झील में पानी की गति की गणना करने के लिए एक घंटी का इस्तेमाल किया. और इसी के आधार पर कुछ वैज्ञानिको का मानना है की सोनार जैसी Technology की शुरुआत यही से हुई. हालाकि उस समय यह Technology उतनी कारगर नही थी.
- 1906 में , लुईस निक्सन (Lewis Nixon) नाम के एक आविष्कारक ने सोनार जैसी एक device का आविष्कार कर लिया गया था. जिसका उपयोग उसने हिमशैल (iceberg) का पता लगाने के लिए किया करता था.
- प्रथम विश्व युद्ध के समय, सोनार जैसी तकनीक का इस्तेमाल पानी के निचे पनडुब्बियो (submarines) का पता लगाने में किया जाने लगा. और ये लगभग सभी देशो के सेनाओं के द्वारा उपयोग में लाया जाने लगा. यदि हम SONAR का आविष्कार और इतिहास में आगे बात करे तो, इन सभी घटनाओं के बाद इसमे कुछ और भी विकाश हुआ.
- 1915 में पॉल लैंग्विन (Paul Langevin) ने समुंद्री वस्तुओ का पता लगाने के लिए पनडुब्बियों क्वार्ट्ज की पीजोइलेक्ट्रिक गुण का उपयोग करके सोनार जैसी एक (यंत्र) device को बनाया जिसे “Echolocation of Detecting Submarines” के नाम से जाना जाने लगा.
- पॉल लैंग्विन के इस आविष्कार ने काफी हद तक Sonar को मूर्तरूप दे दिया था. और समय के साथ- साथ Sonar जैसी Technology और भी ज्यादा Advance होती गई. और आज इसका इस्तेमाल लगभग सभी नेवी सिल के जहाजो और पनडूबियो के द्वारा किया जाता है.
SONAR कैसे काम करता है (Working principle of SONAR)
sonar जैसी मशीन का आविष्कार भले ही एक मुश्किल प्रक्रिया थी. लेकिन इसकी कार्यप्रणाली काफ़ी सरल और आसन है. आपने पहले ही sonar full form में जान चुके है की ये ध्वनि संचरण (Voice transmission) के सिद्धांत पर काम करती है. और इसी Faction के लिए ये अल्ट्रासोनिक तरंगें (Ultrasonic waves) की मदद लेता है.
अल्ट्रासोनिक तरंगें वही, तरंगे है जिसका इस्तेमाल चमगादड़ अंधेरे में अपने रास्तो का पता लगाने के लिए करता है. चमगादड़ अल्ट्रासोनिक तरंगें हवा में भेजता है और जब वो तरंगे किसी वस्तु से टकरा कर वापस आती है तो वो उसे पता लगता है की आगे कोई वस्तु है या नहीं. चमगादड़ अपनी इसी तकनीक का उपयोग रास्ता खोजने और अपने शिकार को पकड़ने के लिए भी करता है.
SONAR SYSTEM भी चमगादड़ की इसी तकनीक के अनुसार कार्य करती है. sonar भी किसी वस्तु का पता लगाने के लिए आसपास के वातावरण में ध्वनि तरंगें भेजती है. ये तरंगे आसपास के वातावरण में मौजूद वस्तु से टकराती है और वापस आती है . जिस वस्तु से अल्ट्रासोनिक तरंग टकराकर आती है, उसी परावर्तित तरंगों के अनुसार SONAR SYSTEM वातावरण में मौजूद वस्तु के आकार और गति का अंदाजा लगाती है.
अल्ट्रासोनिक तरंगें क्या होती है ( what is Ultrasonic waves in hindi)
20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को अल्ट्रासोनिक तरंगें (Ultrasonic waves) कहा जाता है। ये वो ध्वनि तरंगों होती है जिसे मानव नहीं सुन सकते है. इसलिए इसे अश्राव्य ध्वनी भी कहते है. क्योकी मानव श्रवण सीमा 20 से 20,000 हर्ट्ज तक ही है. जबकि 20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को केवल व्हेल, डॉल्फ़िन और चमगादड़ जैसे जीव ही सुन सकते है.
Sonar के कितने प्रकार होते है (Types of SONAR system in hindi)
प्रकृति ने व्हेल, डॉल्फ़िन और चमगादड़ जैसे जीवो को sonar system जैसी तकनीक से लैश बनाया. लेकिन मानव ने इसी तकनीक का इस्तेमाल करके sonar system device बना डाला. लेकिन इसी के आधार पर sonar को दो प्रकार में बाटा गया है.
- Active Sonar
- Passive Sonar
आइये sonar full form के इस post में हम इनके बारे में कुछ और जानकारियाँ पे नज़र डालते है.
Active Sonar क्या है (what is active sonar)
Active Sonar Technology दोहरी ट्रांसमीटर प्रक्रिया के अनुसार काम करती है. आसान शब्दों के कही जाए तो, इस प्रक्रिया में ट्रांसमीटर और रिसीवर दोनों की ज़रूरत होती है। इसमें “ट्रांसमीटर” तरंगे भेजने का काम करती है. और “रिसीवर” वापस आने वाली तरंगो का आंकलन करके वस्तु की दुरी और आकार का पता लगाती है.
व्हेल और डॉल्फ़िन जैसे समुद्री जिव Active Sonar जैसी तकनीक का उपयोग करके पानी के अन्दर भोजन और शिकारी का पता लगाते है.
Passive Sonar क्या है (what is Passive sonar)
Passive Sonar में केवल एक रिसीवर होता है। चूकी इसमें ट्रांसमीटर नही होता है इसलिए ये तरंगो को वातावरण या समुद्र की गहरियो में नहीं भेज सकता. लेकिन ये किसी श्रोत (जहाज़ या जीव) से आ रही ध्वनी तरंगो को रिसीवर की मदद से वस्तु की दुरी और आकर का पता लगा सकता है. इस तकनीक का उपयोग नौसेना के जंगी जहाजों के द्वारा किया जाता है.
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सोनार का उपयोग और महत्व क्या है? (What are the uses of Sonar)
जैसा की हम Sonar full form in hindi me जान चुके है, की sonar जैसी तकनीक का use प्रथम विश्व युद्ध से किया जाने लगा. और आज भी कई तरह के कार्य के लिए अलग- अलग उदेश्य से इसका उपयोग किया आता है आइये जानते है
सैन्य क्षेत्र में सोनार का उपयोग
- sonar system का सबसे अधिक उपयोग सैन्य क्षेत्र में दुश्मन के जहाजों और पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए।
- यह system दुश्मन के पानी के नीचे की स्थानों का पता लगाने और नष्ट करने के लिए काफ़ी कारगर साबित होता है।
- बर्फ के नीचे पनडुब्बि अपने रास्तो को नेविगेट कर यह पता लगाती है की उसके रास्ते में को रूकावट या वर्फीली चट्टान है या नही।
- उथले पानी में सुरक्षित नेविगेशन करने के लिए।
- नौवहन स्थान का निर्धारण करने के लिए।
- ध्वनि का वेग मापने के लिए।
- मशीनरी की मरम्मत करने के उदेश्य से
चिकित्सा के क्षेत्र में sonar का उपयोग
- इसका उपयोग पेट, हृदय, प्रसूति, स्त्री रोग, मस्तिष्कवाहिकीय परीक्षा, स्तन परीक्षण इत्यादि में सोनोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है.
- श्रवण शोध करने में ।
आम नागरिको के हित के लिए सोनार का उपयोग
- समुद्री यात्रा करने में ।
- पथ प्रदर्शन (root mapping) का कार्य करने में ।
- गोताखोर संचार में ।
- मछली खोजने में।
- मलबे का स्थान और निस्तारण का पता लगाने में ।
अनुसंधान के क्षेत्र में sonar का उपयोग।
- पशु स्थान और ट्रैकिंग करने में ।
- पशु संचार करने में।
- भूकंपीय माप करने में।
- नीचे की स्थलाकृति का पता लगाने में।
- ज्वालामुखी माप।
- संसाधन स्थान का पता लगाने में।
सोनार system से होने वाले नुकसान (Limitations Of SONAR)
- समुद्र के भीतर कई विशाल जलीय जीव हैं। सोनार द्वारा उत्सर्जित तरंगें व्हेल, डॉल्फ़िन, सील, कछुए, और अन्य जलीय जीवो आदि के साथ हस्तक्षेप करती हैं इसलिए यह समुद्री जीव के जीवन को खतरा पहुचाती हैं।
- SONAR प्रणाली बहुत शोर उत्पन्न करती है. क्योकी ये अल्ट्रासोनिक तरंगें (Ultrasonic waves) उत्त्पन करती है.
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SONAR ka Full Form क्या है
सोनार का फुल फॉर्म Sound Navigation and Ranging होता है.
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सोनार का प्रयोग कहाँ किया जाता है?
सोनार का प्रयोग नौसंचालकों या नाविकों द्वारा पानी या समुद्र में पड़ी वस्तु को navigate करने या पता लगाने के लिए किया जाता है. इसके अलावे इसका उपयोग महासागरों में खोज और मैपिंग, समुन्द्र में डूबे जहाजो के मलवो का पता लगाने के लिए भी किया जाता है.
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सोनार में कौन सी तरंगो का उपयोग करता है
sonar system में ultrasound (पराश्रव्य) तरंगों का उपयोग किया जाता है, यह 20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों से मिलकर बनी होती है.
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सोनार का आविष्कार किसने किया
सोनार का आविष्कार Reginald Fessenden (रेजिनाल्ड फेसेंडेन) ने किया था. इनका जन्म कनाडा में में हुआ था, सोनार के आविष्कार के अलावे उन्होंने रेडियो और सोनार से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में सैकड़ों पेटेंट प्राप्त किए,
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सोनार कितने प्रकार के होते है?
सोनार दो प्रकार के होते है
Active Sonar
Passive Sonar -
क्या सोनार जानलेवा होता है (sonar can kill you)
आपने पहले ही “sonar full form in Hindi” में समझ चुके है की sonar system अल्ट्रासोनिक तरंगें (Ultrasonic waves) उत्त्पन करती है. सोनार system 2 – 235 डेसीबल तक की ध्वनि तरंगे उत्त्पन कर सकती है, और ये इतनी हानिकारक होती है, की ये आपके फेफड़ों और कान के पर्दे को आसानी से फाड़ सकती है। इसलिए, इसका उपयोग एक सीमा क्षेत्र के अन्दर ही किया जाता है.
आपने Sonar ka Full Form के इस लेख में क्या सिखा?
इस post के सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है की sonar, विज्ञान का एक अद्भुत अविष्कार है, और यदि इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह सच में इंसान के लिए एक अद्भुद आविष्कार होगा| “what is Sonar System in hindi ” के इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद, हमें उम्मीद है, की आपको यह हिंदी लेख जरूर पसंद आया होगा| यदि आपने Sonar full form in hindi के इस हिंदी-पोस्ट को अच्छे से पढ़ा होगा तो इसमे दी गई जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी।
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